दिल्ली: की राजनीति में नया अध्याय लिखते हुए रेखा गुप्ता ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। बतौर चौथी महिला मुख्यमंत्री, उनके सामने कई बड़ी चुनौतियाँ खड़ी हैं। उन्हें अपनी पूर्ववर्ती शीला दीक्षित, सुषमा स्वराज और आतिशी के कार्यकाल की तुलना में खुद को साबित करना होगा। खासतौर पर, शीला दीक्षित के 15 साल के शासन में दिल्ली में हुए विकास कार्यों के चलते जनता की उम्मीदें और भी बढ़ गई हैं। ऐसे में, रेखा गुप्ता को न केवल विकास की नई ऊंचाइयों को छूना होगा बल्कि जनता को यह भी दिखाना होगा कि वे किसी के दबाव में काम नहीं कर रही हैं।
दिल्ली में हमेशा से मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच टकराव देखने को मिला है। अरविंद केजरीवाल सरकार के दौरान यह टकराव कई बार सार्वजनिक हुआ था। अब रेखा गुप्ता को केंद्र सरकार और उपराज्यपाल के साथ संतुलन बनाते हुए यह संदेश भी देना होगा कि वे कठपुतली मुख्यमंत्री नहीं हैं। इसके लिए उन्हें पूर्व मुख्यमंत्रियों के अनुभवों से सीख लेनी होगी।
रेखा गुप्ता के सामने सबसे बड़ी राजनीतिक चुनौती आम आदमी पार्टी का विरोध होगा। 22 विधायकों और 43% वोट शेयर के साथ ‘आप’ सरकार के हर फैसले का विरोध करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। वहीं, कांग्रेस भले ही कमजोर हो, लेकिन राजनीतिक हमलों में पीछे नहीं हटेगी। ऐसे में, रेखा गुप्ता को अपने फैसलों को मजबूती से जनता तक पहुँचाना होगा।
भाजपा के भीतर भी ऐसे कई नेता हैं, जो मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में थे। ऐसे में, उन्हें अपनी ही पार्टी के भीतर उन लोगों से भी सावधान रहना होगा जो उनकी छवि को कमजोर करना चाहते हैं। हालाँकि, मौजूदा भाजपा नेतृत्व में अंदरूनी विरोध ज्यादा असरदार नहीं रहता, लेकिन फिर भी उन्हें अपनी पार्टी के हर कदम पर नजर रखनी होगी।
एक और बड़ी चुनौती दिल्ली की नौकरशाही पर नियंत्रण और उसे जनता के हित में काम करने के लिए प्रेरित करना होगा। सरकारी विभागों में सुधार, प्रशासनिक निर्णयों में तेजी और भ्रष्टाचार पर रोक लगाना उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए। साथ ही, उन्हें दिल्ली के हर वर्ग, समुदाय और क्षेत्र में संतुलन बनाते हुए विकास योजनाओं को आगे बढ़ाना होगा।
दिल्ली देश की राजधानी होने के कारण मीडिया और केंद्र सरकार की पैनी नजर यहाँ की राजनीति पर होती है। हर बड़ा फैसला राष्ट्रीय बहस का विषय बन सकता है। ऐसे में, रेखा गुप्ता को फूंक-फूंक कर कदम रखना होगा और अपने कार्यों को इस तरह प्रस्तुत करना होगा कि जनता का भरोसा बना रहे।
मुख्यमंत्री बनने के बाद रेखा गुप्ता के सामने एक कठिन सफर है। उन्हें विपक्ष के हमलों, प्रशासनिक चुनौतियों और पार्टी के अंदरूनी समीकरणों के बीच अपने नेतृत्व को साबित करना होगा। अब देखना होगा कि क्या वे अपनी राजनीतिक सूझबूझ और प्रशासनिक क्षमता से इन चुनौतियों को पार कर पाती हैं या नहीं।
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