राजस्थान विधानसभा : में शुक्रवार को केंद्र सरकार की ‘लखपति दीदी योजना’ को लेकर जमकर हंगामा हुआ। कांग्रेस विधायक रफीक खान द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री ओटाराम देवासी विपक्ष के निशाने पर आ गए। स्थिति तब और गरमा गई जब कांग्रेस ने मंत्री के जवाब को गलत और भ्रामक बताया। इसके बाद सरकार के तीन मंत्री—सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री, संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल और सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग—देवासी के बचाव में उतर आए, जिससे सदन में जोरदार बहस छिड़ गई।
विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान रफीक खान ने ‘लखपति दीदी योजना’ से जुड़ा सवाल पूछा, जिसमें उन्होंने जानना चाहा कि महिलाओं को लखपति बनाने की प्रक्रिया क्या है, फंड कहां से आ रहा है और किन संस्थाओं के माध्यम से यह योजना लागू की जा रही है? मंत्री ओटाराम देवासी ने जवाब में आंकड़े पेश किए और कहा कि अब तक 15 लाख 21 हजार महिलाओं का चयन लखपति दीदी योजना के तहत हो चुका है।
हालांकि, विपक्ष ने मंत्री के जवाब को गलत ठहराया। रफीक खान ने आरोप लगाया कि "मेरा सवाल लगने के बाद अफसरों ने सरकार को गलत डेटा और झूठे तथ्य दे दिए।" उन्होंने यह भी दावा किया कि "अब तक किसी भी महिला को इस योजना के तहत आर्थिक सहायता नहीं मिली है, न ही सरकार के पास इसके वितरण से जुड़ी कोई स्पष्ट जानकारी है।"
मंत्री ओटाराम देवासी के जवाब पर कांग्रेस विधायकों ने तेज विरोध शुरू कर दिया। विपक्ष के दबाव को देखते हुए सरकार के तीन वरिष्ठ मंत्री—सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री, संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल और सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग—देवासी के बचाव में उतर आए। इसके बावजूद कांग्रेस विधायकों ने हंगामा जारी रखा और सरकार से स्पष्ट जवाब देने की मांग की।
इस दौरान मंत्री देवासी ने जवाब देते हुए कहा, "लखपति दीदी योजना में महिलाओं को सीधे पैसा नहीं दिया जाता, बल्कि उन्हें स्वयं सहायता समूहों से जोड़ा जाता है। पूरी योजना का डेटा उपलब्ध है, लेकिन विपक्ष को जवाब सुनने की क्षमता रखनी होगी।"
देवासी के बयान के बाद सदन में हंगामा और बढ़ गया। विपक्ष ने सरकार पर सवालों से बचने का आरोप लगाया, जबकि सत्ता पक्ष ने कांग्रेस पर जानबूझकर सदन की कार्यवाही बाधित करने का आरोप लगाया। कुछ देर के लिए माहौल इतना गरमा गया कि विधानसभा अध्यक्ष को हस्तक्षेप करना पड़ा।
केंद्र सरकार की लखपति दीदी योजना का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। इसके तहत महिला स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाता है, ताकि वे एक लाख रुपये से अधिक की वार्षिक आय अर्जित कर सकें। हालांकि, विपक्ष का आरोप है कि योजना का क्रियान्वयन ठीक से नहीं हो रहा और लाभार्थियों तक मदद नहीं पहुंच रही।
विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार से विस्तृत रिपोर्ट की मांग कर रहा है, जबकि सरकार ने योजना के तहत महिलाओं को लाभ पहुंचाने का दावा किया है। विधानसभा में इस पर आगे भी बहस होने की संभावना है।
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