रंग मस्ताने ग्रुप की ओर से रविवार को जयपुर में वॉक थिएटर का आयोजन किया गया। इसके तहत अल्बर्ट हॉल से हवामहल तक रंगकर्मियों के साथ दर्शकों ने इसमें हिस्सा लिया। रंगकर्मी और आयोजक अभिषेक मुद्गल ने बताया कि वॉक थिएटर कि अगर बात करें तो यह एक अलग तरह का रंगमंच प्रयोग है, जिसमें कलाकार प्रस्तुति करता और दर्शक भी साथ में चलते हैं।
दर्शक और कलाकार भी पर्यावरण के मुद्दों सहित कई मुद्दों पर बात करते हैं। उन्होंने बताया कि आज से 2 साल पहले जब वो यूरोप की यात्रा पर गए तो वहां जाकर कई सारे प्रयोग देखने को मिले। उन प्रयोगों में बात हुई एक प्रस्तुति की, जिसमें पंकज तिवारी नाम के भारतीय अभिनेता नीदरलैंड से फ्रांस तक पैदल यात्रा पर गए और उन्होंने रास्ते में कई जगह अपनी प्रस्तुतियां दी और अलग-अलग भाषा में अलग-अलग जगह पर रह रहे लोगों से रंगमंच के अनुभवों को साझा किया।उनके इस पहल पर यूरोपियन सरकार ने उन्हें कई हजार यूरो की मदद की, जो कि पंकज तिवारी ने कॉविड के समय में घर जा रहे मजदूरों के लिए खर्च की। जब अभिषेक यूरोप से वापस आ रहे थे तो इस समय पंकज तिवारी ने उनसे एक वादा लिया कि वो अपने कलात्मक अभ्यास में एक ऐसी चीज को डालेंगे, जिससे कि पर्यावरण के लिए भी कोई एक कदम आगे बढ़ा पाएं और जिस रंगमंच को भी आगे पहुंचाने का एक रास्ता मिले।
यहां आने के बाद अभिषेक ने अपना नाटक महारथी बनाया और उसमें कई सारे फिजिकल मूवमेंट थे, जिनके लिए अभिनेताओं को तैयार करना था। एक दिन अभिनेताओं से बातें करते-करते यह तय हुआ कि सभी एक बहुत लंबी वॉक पर जाएंगे और उसे वॉक पर कुछ प्रस्तुतियां भी एक दूसरे की देखते रहेंगे। तब उन्हे इस वॉक के विजुअल दिखने लगे तो उन्हें यूरोप की प्रस्तुति आर्ट आफ वाकिंग याद आ गई और अभिषेक ने इस वॉक को एक आम वॉक ना रखते हुए वॉक थिएटर का नाम दिया।
उन्होंने कहा कि बहुत सारे लोग यह भी कहते हैं की नुक्कड़ नाटक और वॉक थिएटर में कोई फर्क नहीं है। मोबाइल थिएटर और वॉक थिएटर में कोई फर्क नहीं है। लेकिन वे इसे इसलिए अलग मानते हैं क्योंकि यहां आप दर्शक को रोक नहीं रहे हैं। यहां आप दर्शक को इकट्ठा नहीं कर रहे हैं, यहां आप चलते जा रहे हैं। दर्शक आपके साथ चल रहे हैं। कलाकार भी साथ चल रहे हैं प्रस्तुतियां भी हो रही हैं। पर्यावरण के लिए कदम भी बढ़ाया जा रहा है। और हम हमारी प्रैक्टिस में इस वॉक को शामिल करके अपनी खुद के स्वास्थ्य के लिए भी एक कदम बढ़ा रहे हैं। इस तरह से आभिषेक और उनकी टीम ने वॉक थिएटर की पहली सीरीज की शुरुआत की जिसमें कुल 35 लोग आए ।
उसके बाद हम लोगों ने दूसरी वॉक की, जिसमें करीब 60 लोग आए और वह वॉक इसलिए खास थी क्योंकि वह दूसरी वॉक थी और पूरी रात जब जयपुर में बारिश हो रही थी और हम लोगों ने इस वॉक को देश के किसानों को समर्पित किया था। बारिश होने के बावजूद भी सभी दर्शन और कलाकार अपना-अपना छाता लेकर वॉक करते रहे और प्रस्तुतियां देते रहे।
अभिषेक ने बताया कि 2 साल में अब तक हम करीब 12 वॉक कर चुके हैं और यह हमारी तेरहवीं वॉक है। आने वाले समय में इस वॉक को मैं एक अलग तरीके के रंग मंच के रूप में देखता हूं और यह भी कहता हूं कि जिस तरह जयपुर में हेरिटेज वॉक का कॉन्सेप्ट बेहद पसंद किया गया था। आने वाले समय में वॉक थिएटर का कॉन्सेप्ट भी बहुत पसंद किया जाएगा। यह रंगमंच देखने आने वालों के लिए एक जागरूक अभियान बनेगा और रंगमंच कर रहे लोगों को एक नई ऊर्जा देगा।
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