जयपुर। सरकार ट्रैफिक नियम तोड़ने से संबंधित 7 लाख केस वापस लेने जा रही है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मंजूरी दे दी है। गृह विभाग द्वारा जल्द ही प्रकरण अदालतों से वापस लेने की प्रक्रिया शुरू होगी। उन लोगों को सजा या जुर्माने मिलने का रास्ता भी साफ हो जाएगा, जो नियम तोड़ने के आदतन अपराधी हैं। गृह विभाग के अनुसार राज्य सरकार को सीआरपीसी की धारा-321 के तहत अदालतों में विचाराधीन प्रकरण वापस लिए जाने का अधिकार प्राप्त है।
इसी के तहत सरकार ने फैसला किया है कि मोटर व्हीकल एक्ट के अधीन ट्रैफिक नियम तोड़ने से संबंधित मामलों को वापस ले लिया जाए। इसमें शर्त रखी गई है कि प्रकरण कर चोरी से संंबंधित नहीं होने चाहिए। इस धारा के तहत उनका पहला अपराध ही हो। वहीं, केवल जुर्माने से संबंधित होना चाहिए। अभियुक्त न्यायालय में उपस्थित हो रहा है। वहीं, सरकार ने अब तक के सभी मामलों में यह फैसला लागू करने का प्रावधान किया है यानि 20 सितंबर तक के मामले में कोर्ट में चालान पेश हो गया हो।
प्रकरण वापस लेने की यह प्रकिया रहेगी गृह विभाग का कहना है कि राज्य सरकार के आदेश पारित होते ही अभियोजन विभाग अदालतों से प्रकरण वापस लेने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा। इसमें संबंधित अदालतों में सरकारी वकील सरकार की अनुशंषा पेश करेंगे। मुख्यमंत्री की मंजूरी मिल गई है, ऐसे में जल्द ही यह प्रक्रिया शुरू होगी।
पेंडिंग केसेस का ऐसे हुआ खुलासा
राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव हरिओम अत्री के अनुसार हमारा काम महिला, बच्चों के साथ-साथ ऐसे प्रकरणों की मॉनिटरिंग करना है, जो सामान्य प्रकृति के हैं। मोटर व्हीकल एक्ट-1988 से संबंधित 7 लाख से ज्यादा प्रकरण पेंडिंग है। इनमें बड़ी संख्या में प्रकरण थानों में ही धूल फांक रहे थे। उनकी सुनवाई की मियाद तक खत्म हो गई थी। सरकार को प्रकरण निस्तारण के लिए सुझाव दिए गए थे। अब सरकार का निर्णय है कि वह क्या करती है?
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