जयपुर। भरतपुर में 5 साल की मासूम को कुत्तों के काटने के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया है। जस्टिस इंद्रजीत सिंह और जस्टिस भुवन गोयल की अदालत ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर प्रसंज्ञान लिया। जस्टिस इंद्रजीत सिंह ने कहा- हमारी गली में भी कुत्ते हैं, इससे हमें भी दिक्कत होती है।
उन्होंने कहा कि आए दिन कुत्तों के काटने की घटनाएं सामने आती है, लेकिन उसके बाद भी इसे लेकर गंभीरता नहीं रखी जाती है। कोर्ट ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा- इस मामले में भी परिजनों ने पहले से ही नगर निगम को सूचना दी थी कि गली में कुत्तों का आतंक है, लेकिन उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। मासूम को इनका शिकार होना पड़ा।
सरकार को विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के आदेश कोर्ट ने कहा- केरल में स्ट्रीट एनिमल्स को लेकर पॉलिसी है। उन्होंने अदालत में मौजूद महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद से पूछा कि क्या राजस्थान में सरकार इस तरह की कोई पॉलिसी लाने पर विचार कर रही है। इसके साथ ही सरकार इन घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठा रही है। इसकी विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के आदेश कोर्ट ने दिए।
एडवोकेट प्रतीक कासलीवाल बोले- कई जगह पर स्ट्रीट डॉग्स का आतंक मामले में कोर्ट ने एडवोकेट प्रतीक कासलीवाल को न्यायमित्र नियुक्त किया हैं। उन्होंने कोर्ट से कहा- जयपुर शहर में कई जगह पर स्ट्रीट डॉग्स का आतंक है। मेरा 14 साल का बच्चा भी स्ट्रीट डॉग्स की वजह से बाहर साइकिल नहीं चला पाता है। हमने कई बार निगम में इसे लेकर शिकायत की, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
5 साल की बच्ची पर 4 कुत्तों ने किया था हमला दरअसल, 23 सितंबर को भरतपुर के नदिया मोहल्ला में शाम 6 बजे घर से 50 मीटर दूर स्थित दुकान पर दूध लेने गई 5 साल की बच्ची पर एक साथ 4 कुत्तों ने हमला कर दिया था। कुछ सेकेंड में ही कुत्तों ने बच्ची के सिर, गर्दन, कमर और पैर पर 10 जगह नोच लिया था। वहां मौजूद एक युवक ने बच्ची को बचाया था।
मानवाधिकार आयोग ने कलेक्टर से मांगी रिपोर्ट मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने प्रसंज्ञान लेते हुए भरतपुर कलेक्टर और भरतपुर नगर निगम से इस पूरे मामले की डिटेल रिपोर्ट तलब की है। साथ ही आयोग ने पूछा कि प्रशासन ने अपने स्तर पर बालिका को क्षतिपूर्ति देने का कोई आदेश अभी तक जारी किया है या नहीं।
आयोग अध्यक्ष जस्टिस जी आर मूलचंदानी ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा- जयपुर में कुछ साल पहले एक विदेशी पर्यटक की भी आवारा पशु के चलते मौत हो गई थी। हमारी सरकारी एजेंसियां इसे लेकर गंभीर नहीं है, जबकि स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी है कि हमारे नागरिक और बच्चों के लिए आवागमन के रास्ते सुगम हो।
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