भरतपुर: राजस्थान के भरतपुर जिले में महिला पहलवानों को निशुल्क कुश्ती प्रशिक्षण देकर यदुवीर सिंह ने एक मिसाल कायम की है। महारानी किशोरी बालिका व्यायामशाला में बीते 25 वर्षों से वे बेटियों को फ्री में कुश्ती के गुर सिखा रहे हैं। उनके यहां से सीखकर निकली 230 से ज्यादा महिला पहलवान आज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलकर सरकारी नौकरियां पा चुकी हैं।
यदुवीर सिंह ने बताया कि 1996 में जब महिला कुश्ती को ओलंपिक में शामिल किया गया, तभी उन्होंने बेटियों को कुश्ती सिखाने का फैसला किया। उन्होंने पहले अपनी तीन बेटियों और दो भतीजियों को ट्रेनिंग दी और फिर धीरे-धीरे अन्य लड़कियों को भी शामिल किया। आज उनकी अकादमी में लड़कियों को मुफ्त में कुश्ती की ट्रेनिंग के साथ ही रहने और खाने की भी सुविधा दी जाती है।
यदुवीर सिंह को पहले सरकार से कोई मदद नहीं मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने घर में गद्दों पर ही ट्रेनिंग शुरू कर दी। जैसे-जैसे महिला पहलवानों ने नाम कमाना शुरू किया, प्रशासन की मदद भी मिलने लगी। उनकी इस मुहिम में पत्नी और बेटा भी पूरा सहयोग देते हैं। उनकी पत्नी सरोज महिला पहलवानों से संवाद करती हैं, ताकि उनकी परेशानियां हल की जा सकें। वहीं उनका बेटा, जो खुद एक सरकारी कोच है, लड़कियों को कुश्ती की ट्रेनिंग देता है।
यहां प्रशिक्षण ले रही पहलवान तन्वी सिनसिनवार ने बताया कि वह भरतपुर जिले के जिरौली गांव से हैं। जब वह इस अकादमी में आईं तो यहां का माहौल देखकर उन्होंने कुश्ती में अपना करियर बनाने का फैसला किया। यहां कुश्ती की ट्रेनिंग के अलावा पोषण का भी पूरा ध्यान रखा जाता है।
यदुवीर सिंह की अकादमी हर साल महिला कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन करती है जिसमें देशभर से महिला पहलवान भाग लेने आती हैं। इस प्रतियोगिता से कई नई महिला पहलवानों को आगे बढ़ने का मौका मिलता है।
यदुवीर सिंह का यह प्रयास महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन गया है। उन्होंने न सिर्फ लड़कियों को कुश्ती में करियर बनाने का मौका दिया, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने की राह भी दिखाई।
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