केरल हाई कोर्ट : ने अपने हालिया फैसले में कहा कि मौजूदा समय में शिक्षक अनुशासनहीन छात्रों के खिलाफ कोई कदम उठाने से डरते हैं, क्योंकि उन्हें केस का डर रहता है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि किसी भी शिक्षक के खिलाफ स्कूल में की गई किसी कार्रवाई के लिए केस दर्ज करने से पहले उचित जांच होनी चाहिए।
न्यायमूर्ति पीवी कुन्हिकृष्णन ने अपने आदेश में कहा,
"यदि कोई शिक्षक बिना दुर्भावनापूर्ण इरादे के मामूली अनुशासनात्मक सजा देता है, तो उसे आपराधिक केस से बचाया जाना चाहिए।"
इसके साथ ही कोर्ट ने केरल के डीजीपी को इस संबंध में सर्कुलर जारी करने और इसे एक महीने में लागू करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा कि यदि कोई शिक्षक हल्की सजा देता है, जैसे हल्का धक्का देना या चुटकी काटना, तो इसे अपराध नहीं माना जाना चाहिए। अन्यथा, शिक्षक अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से निभा नहीं पाएंगे।
कोर्ट ने सुझाव दिया कि
हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई छात्र या अभिभावक शिक्षक के खिलाफ शिकायत करता है, तो पहले यह जांच होनी चाहिए कि मामला दर्ज करने के लिए पर्याप्त आधार है या नहीं।
हाई कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों के मामलों में भी यही प्रावधान लागू होना चाहिए।
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