जोधपुर : जोधपुर सेंट्रल जेल में छापेमारी के दौरान ट्रेनी IPS (SP) हेमंत कलाल, मजिस्ट्रेट और तहसीलदार को जेल गेट पर 20 मिनट तक इंतजार करवाने का मामला तूल पकड़ रहा है। पुलिस का आरोप है कि यह देरी जेल में छिपाए गए प्रतिबंधित सामानों को हटाने का मौका दे सकती थी। दूसरी ओर, जेल प्रशासन ने नियमों का हवाला देकर आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि पुलिस को रोका नहीं गया था।
एसपी हेमंत कलाल ने बताया कि 30 जनवरी को गृह विभाग के आदेश के तहत वे जेल में रेड करने पहुंचे, लेकिन गेट पर 20 मिनट तक इंतजार कराया गया। उन्होंने कहा,
"हमारे साथ एडीसीपी, तहसीलदार और मजिस्ट्रेट भी मौजूद थे, फिर भी हमें रोक दिया गया। कोई भी सामान छिपाने के लिए 20 मिनट काफी होते हैं। इतने समय में जेल के 16 वार्डों में प्रतिबंधित वस्तुओं को हटाया जा सकता है।"
इस घटना के बाद 21 फरवरी को पुलिस टीम ने SDM और स्थानीय थाने की पुलिस के साथ दोबारा रेड मारी। इस दौरान वार्ड नंबर-6 के बैरक नंबर-2 में एक मटकी मिली, जिसे सीमेंट से ढका गया था। जब मटकी खोली गई तो अंदर कपड़े में लपेटकर मोबाइल फोन, सिम और केबल छिपाए गए थे।
एसपी कलाल ने कहा,
"इससे साफ है कि जेल के अंदर कोई बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है। केवल कैदी ऐसा कर पाएं, यह संभव नहीं लगता। जेल स्टाफ की संलिप्तता के बिना यह मुमकिन नहीं हो सकता।"
इस पूरे विवाद पर जेल अधीक्षक प्रदीप लखावत ने कहा कि पुलिस को रोका नहीं गया था। उन्होंने सफाई देते हुए कहा,
"हमने जेल नियमों के अनुसार कार्रवाई की। बाद में पुलिस के साथ मिलकर तलाशी अभियान भी चलाया गया था।"
जेल अधीक्षक ने बताया कि जेल में 135 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जो हर कोने की निगरानी करते हैं। उनका कहना था,
"हमारे पास पूरी घटना का सीसीटीवी फुटेज मौजूद है, जिसमें यह साफ देखा जा सकता है कि पुलिस टीम को रोका नहीं गया।"
इस घटना को लेकर पुलिस और जेल प्रशासन एक-दूसरे के दावों का खंडन कर रहे हैं। जहां पुलिस को शक है कि जेल में अवैध गतिविधियां चल रही हैं, वहीं जेल प्रशासन ने सभी आरोपों को नकारते हुए पुलिस को पूरा सहयोग करने की बात कही। अब इस विवाद की सच्चाई जांच के बाद ही सामने आएगी।
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