जयपुर, राजस्थान : राजस्थान हाईकोर्ट ने जयपुर हेरिटेज निगम की पूर्व मेयर मुनेश गुर्जर के घर से मिली 41.50 लाख रुपये की नकदी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की निष्क्रियता पर सवाल उठाया है। अदालत ने ईडी से पूछा है कि इस मामले में अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई। यह आदेश जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और प्रमिल कुमार माथुर की खंडपीठ ने पब्लिक अगेंस्ट करप्शन की जनहित याचिका (PIL) पर दिया।
4 अगस्त 2023 को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने जयपुर हेरिटेज निगम की तत्कालीन मेयर मुनेश गुर्जर के घर पर छापा मारा था, जहां से 41.50 लाख रुपये नकद बरामद हुए थे। एसीबी के अनुसार, मुनेश गुर्जर और उनके पति सुषील गुर्जर इस नकदी के स्रोत की संतोषजनक जानकारी नहीं दे सके थे।
हाईकोर्ट ने इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) से चार सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है। पीआईएल में दलील दी गई थी कि यह मामला पीएमएलए अधिनियम की धारा-3 के तहत अपराध बनता है और ईडी को स्वतः संज्ञान लेकर जांच करनी चाहिए थी।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने इस मामले में पूर्व मेयर मुनेश गुर्जर, उनके पति सुषील गुर्जर और दो अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है। इसके बावजूद ईडी द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई।
पिछले साल जयपुर हेरिटेज निगम की मेयर मुनेश गुर्जर के पति सुषील गुर्जर को एसीबी ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। उनके साथ दो दलालों को भी हिरासत में लिया गया था। इसके बाद 23 सितंबर 2024 को राज्य सरकार ने मुनेश गुर्जर को उनके पद से निलंबित कर दिया था।
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