अजमेर : के महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (MDSU) में शनिवार को 12वां दीक्षांत समारोह आयोजित हुआ। इस अवसर पर राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह उनके जीवन के लिए एक नए आरंभ का अवसर है। उन्होंने परंपरा और आधुनिक ज्ञान के समावेश से भारत को विश्व गुरु बनाने की बात कही।
राज्यपाल बागडे ने नई शिक्षा नीति को समाज, नागरिक और संस्कृति के अनुरूप बताते हुए कहा कि इससे विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि लॉर्ड मैकाले द्वारा लागू की गई शिक्षा पद्धति को बदलकर, देश की आवश्यकताओं के अनुसार नई शिक्षा प्रणाली विकसित की जा रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालयों को ऐसे पाठ्यक्रम तैयार करने चाहिए, जो रोजगार सृजन में सहायक हों। विद्यार्थियों को केवल ज्ञान अर्जन तक सीमित न रहकर, उद्यमशीलता को भी अपनाना चाहिए।
राज्यपाल बागडे ने भारत की समृद्ध वैज्ञानिक परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि महर्षि भारद्वाज द्वारा वर्णित विमान विज्ञान के आधार पर 1895 में शिवकर बापूजी तलपे ने विमान उड़ाया था। वहीं, गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का वर्णन न्यूटन से पहले भास्कराचार्य ने कर दिया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि अर्जित विद्या का व्यवहारिक उपयोग समाज और राष्ट्र हित में किया जाना चाहिए।
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने दीक्षांत समारोह में कहा कि शिक्षा जीवनभर चलने वाली एक प्रक्रिया है। उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के बढ़ते प्रभाव और इसके संभावित दुष्प्रभावों पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति और इतिहास के गौरवशाली चरित्रों का अनुकरण करने की प्रेरणा दी।
देवनानी ने कहा कि भारत नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला जैसे शिक्षा केंद्रों के कारण विश्व गुरु रहा है। उन्होंने विद्या, धर्म, नीति और सामाजिक उत्तरदायित्व पर जोर देते हुए छात्रों को प्रेरित किया। उन्होंने छत्रपति संभाजी महाराज और महाराणा सांगा के आदर्शों का अनुसरण करने की अपील की।
दीक्षांत समारोह में वर्ष 2023-24 के स्वर्ण पदक विजेताओं को सम्मानित किया गया और उपाधि धारकों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।
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