कांग्रेस : ने निजी स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण लागू करने की मांग की है। पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने सरकार से संविधान के अनुच्छेद 15(5) को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए कानून लाने की अपील की है।
संविधान का अनुच्छेद 15(5) सरकार को यह अधिकार देता है कि वह सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए विशेष कानून बनाए। इसमें निजी और सार्वजनिक दोनों तरह के शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की व्यवस्था की जा सकती है, हालांकि अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को इससे छूट दी गई है।
प्रमति एजुकेशनल एंड कल्चरल ट्रस्ट बनाम भारत संघ (2014):
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से अनुच्छेद 15(5) को वैध ठहराया था।
कोर्ट ने कहा कि निजी संस्थानों में भी SC, ST और OBC के लिए आरक्षण संवैधानिक रूप से स्वीकार्य है।
अशोक कुमार ठाकुर बनाम भारत संघ (2008):
इस केस में सरकारी और सरकार से सहायता प्राप्त संस्थानों में आरक्षण को संवैधानिक माना गया।
लेकिन निजी गैर-सहायता प्राप्त संस्थानों में आरक्षण को लेकर सरकार को निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी गई।
आईएमए बनाम भारत संघ (2011):
सुप्रीम कोर्ट ने 2-0 के अंतर से फैसला सुनाते हुए गैर-अल्पसंख्यक निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण को वैध ठहराया।
जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस ने पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भी अनुच्छेद 15(5) को लागू करने का संकल्प लिया था। इसके अलावा, शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने भी इसकी सिफारिश की थी।
कांग्रेस का कहना है कि सरकार को निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण के लिए स्पष्ट कानून बनाना चाहिए। इससे सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को समान अवसर मिलेंगे और उच्च शिक्षा में समावेशिता बढ़ेगी।
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