उत्तर भारत : के प्रसिद्ध शक्ति पीठ कैलादेवी में हर साल आयोजित होने वाला चैत्र नवरात्रि लक्खी मेला इस बार एक नई ऊंचाई को छूने की उम्मीद है। पिछले साल करीब 1 करोड़ महिलाओं ने अपने सुहाग के लिए चूड़ियों की खरीदारी की थी, और इस बार अनुमान है कि कांच की चूड़ियां डेढ़ करोड़ तक बिक सकती हैं। यह मेला श्रद्धा और आस्था का प्रतीक बन चुका है, जहां लाखों श्रद्धालु हर साल पहुंचते हैं।
इस बार चूड़ियों की बिक्री और भी ज्यादा होने की संभावना है, क्योंकि श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि हो रही है। ये चूड़ियां न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि क्षेत्रीय संस्कृति का अहम हिस्सा भी मानी जाती हैं। इन चूड़ियों के माध्यम से महिलाओं को मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो उनके सुहाग के प्रतीक के रूप में पहनी जाती हैं।
इसके अलावा, इस बार मेले में करीब 10 हजार किलो सिंदूर बिकने की उम्मीद है, जो पिछले साल की तुलना में काफी ज्यादा होगा। दुकानदारों का कहना है कि पहले स्थानीय स्तर पर सिंदूर बनाया जाता था, लेकिन अब रेडिमेड सिंदूर की वैरायटी आ गई है। फिर भी, 95% बिक्री लाल सिंदूर की ही होती है, जो महिलाओं के शृंगार और मंगलसूत्र में उपयोग किया जाता है।
दुकानदारों के मुताबिक, मेले के दौरान भक्तों की भारी संख्या आने से उनका व्यापार भी काफी लाभकारी होता है, जिससे उनका घर-परिवार अच्छे से चलता है। चूड़ियों और सिंदूर की बिक्री व्यापारिक दृष्टिकोण से भी व्यापारियों के लिए फायदेमंद साबित होती है।
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