Waqf Amendment Bill 2025 : को लेकर देश की सियासत गर्म है। कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने इस विवादित विधेयक को लेकर रविवार को केंद्र सरकार पर करारा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक मंदिर-मस्जिद के नाम पर देश को धार्मिक आधार पर बांटने और ध्रुवीकृत करने की कोशिश है।
पायलट ने कहा, "इस बिल को इतनी जल्दबाज़ी में लाना, जबकि विपक्ष, धार्मिक समुदायों और कई हितधारकों ने इसका खुलकर विरोध किया, साफ दिखाता है कि भाजपा असली मुद्दों से ध्यान भटकाकर देश को धार्मिक बहसों में उलझाना चाहती है।"
पायलट ने कहा कि केंद्र सरकार मणिपुर की अशांति, बढ़ती बेरोजगारी, खाद्य सामग्री की महंगाई और चीन की घुसपैठ जैसे ज्वलंत मुद्दों से बचना चाहती है।
"यह भाजपा की पुरानी रणनीति है – लोगों का ध्यान भटकाकर ध्रुवीकरण वाले मुद्दों की ओर मोड़ना, जिससे उनके राजनीतिक एजेंडे को फायदा हो सके।" – उन्होंने जोड़ा।
सचिन पायलट ने सवाल उठाया कि जब कुछ मामलों में विसंगतियां थीं, तो उन्हें संवाद और समन्वय से सुलझाया जा सकता था।
"लेकिन यह बिल धार्मिक विभाजन पैदा करने की नीयत से लाया गया है, ताकि मंदिर बनाम मस्जिद की नई बहस छेड़ दी जाए और जनता का ध्यान बंट जाए।"
पायलट ने अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी शुल्क (Tariff) को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा सिर्फ फोटोशूट और तोहफों के लेन-देन तक सीमित रही।
"ऐसे वक्त में जब दुनिया नए टैरिफ पर प्रतिक्रिया दे रही है, भारत सरकार बस वक्त गुज़ार रही है और सब कुछ भाग्य के भरोसे छोड़ दिया है।"
सचिन पायलट ने चेतावनी दी कि अमेरिका के जवाबी शुल्क से भारत के निर्यात पर गहरा असर पड़ेगा, जिससे MSME सेक्टर को झटका लगेगा और नौकरी छूटने का खतरा बढ़ेगा।
"हमारी अर्थव्यवस्था पहले ही दबाव में है, ऐसे में यह झटका बेहद गंभीर है, लेकिन सरकार की तरफ से कोई स्पष्ट नीति या समाधान सामने नहीं आया है।" – उन्होंने कहा।
Waqf Amendment Bill 2025 केवल कानूनी बदलाव नहीं, बल्कि देश की राजनीतिक दिशा को प्रभावित करने वाला एक संवेदनशील मसला बन गया है।
जहां सरकार इसे सुधारात्मक कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे धार्मिक ध्रुवीकरण और असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की साज़िश मान रहा है।
अब देखना होगा कि संसद के आगामी सत्रों में यह बहस किस दिशा में जाती है।
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