पाली : जिले में गरीबों के लिए एक उम्मीद की किरण बनकर आई शहीद भगत सिंह आवासीय कॉलोनी आज खंडहर में तब्दील हो चुकी है। 22 करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए 1308 फ्लैट, जिनमें से 902 का आवंटन हुआ था, आज अवैध कब्जों और असामाजिक गतिविधियों का गढ़ बन चुके हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार, 90% से ज्यादा फ्लैटों में मूल निवासी नहीं रहते, बल्कि उन्हें किराये पर देकर स्मैकियों, नशेड़ियों और अपराधियों को ठिकाना दे दिया गया है। हालात इतने बदतर हो गए हैं कि 406 फ्लैटों से दरवाजे-खिड़कियां तक उखाड़कर बेच दी गईं।
जो लोग इन घटनाओं का विरोध करते हैं, उन्हें मारपीट और धमकी का सामना करना पड़ता है।
यह कॉलोनी गरीबों और बीपीएल परिवारों के लिए बनाई गई थी।
कुल लागत: 22 करोड़ रुपये
केंद्र सरकार का योगदान: 80%
नगर परिषद: 10%
लाभार्थी बीपीएल परिवार: 10% भुगतान पर फ्लैट आवंटन
लेकिन अब यहां की सड़कें टूटी हुई हैं, पार्कों में कचरा भरा है, और फ्लैटों की हालत जर्जर हो चुकी है।
निगम आयुक्त नवीन भारद्वाज ने मीडिया से बातचीत में कहा,
"आपके माध्यम से जानकारी मिली है। फाइल मंगवाकर असली मालिकों की पहचान करेंगे। चोरी की एफआईआर दर्ज करवा कर कॉलोनी को असामाजिक तत्वों से मुक्त कराया जाएगा।"
हालांकि, स्थानीय निवासी प्रशासन की कार्यशैली से नाराज़ हैं और त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
यह मामला एक विफल सरकारी योजना और प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण बन गया है।
जरूरत है सख्त कदम उठाने की—ताकि वाकई गरीबों को उनका अधिकार मिल सके और लोक निधि का सही उपयोग हो सके।
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