झालावाड़/ जयपुर : राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के जल संकट को लेकर मंगलवार को दिए गए बयान ने प्रदेश की राजनीति में गर्मी ला दी है। झालावाड़ जिले के रायपुर कस्बे के दौरे के दौरान जब राजे को वहां के पेयजल संकट की जानकारी मिली, तो उन्होंने मौके पर ही जलदाय विभाग और जलजीवन मिशन के अधिकारियों की सख्त क्लास लगा दी।
राजे ने ग्रामीणों के बीच अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा:
"क्या जनता को प्यास नहीं लगती? सिर्फ़ आप अफ़सरों को ही लगती है? गर्मी में पेयजल संकट के कारण जनता त्रस्त है और अफ़सर तृप्त हैं। पानी सिर्फ कागजों में नहीं, लोगों के होठों तक पहुँचना चाहिए। अफ़सर सो रहे हैं, लोग रो रहे हैं। मैं ऐसा नहीं होने दूंगी।"
राजे के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए राजस्थान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बुधवार को ट्वीट कर चौंकाया। उन्होंने कहा:
"धन्यवाद वसुंधरा राजे जी, राजस्थान की जनता को निष्क्रिय भाजपा सरकार की सच्चाई बताने के लिए।"
डोटासरा ने आगे जोड़ा कि वसुंधरा राजे का यह बयान भाजपा सरकार की विफलताओं का व्याख्यान है, जो किसी विपक्षी नेता ने नहीं, बल्कि खुद भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने किया है।
डोटासरा ने मौजूदा सरकार पर तंज कसते हुए लिखा:
"भाजपा सरकार के कुप्रबंधन के कारण प्रदेश में बिजली-पानी की समस्या गहराती जा रही है। डेढ़ साल में कोई ठोस प्रबंध नहीं हुआ। अफसरशाही हावी है और सारी योजनाएं सिर्फ कागजों में हैं।"
उन्होंने यह भी सवाल उठाया:
"क्या वसुंधरा जी की यह ललकार जनता का भला करेगी या फिर भाजपा की अंदरूनी राजनीति में पर्ची बदलवाएगी?"
वसुंधरा राजे का यह बयान और कांग्रेस द्वारा उसे हाईलाइट करना राजनीतिक गलियारों में नए समीकरणों की ओर इशारा कर सकता है। क्या यह भाजपा के भीतर की गुटबाज़ी का संकेत है, या फिर राजे की जनधारणा को मजबूत करने की रणनीति?
वसुंधरा राजे का "अफसर सो रहे हैं, लोग रो रहे हैं" वाला बयान भाजपा सरकार के लिए अंदरूनी चुनौती बनकर सामने आया है। विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर भुनाने में जुट गया है, जबकि जनता इसे सीधे तौर पर प्रशासनिक लापरवाही और जल संकट से जोड़ रही है। आने वाले दिनों में यह बयान राजनीतिक बहस का केंद्र बनेगा।
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.