राजस्थान : के डूंगरपुर जिले के बिछीवाडा थाना क्षेत्र में एक 17 वर्षीय छात्र ने बोर्ड परीक्षा में एक पेपर खराब होने से मानसिक तनाव में आकर आत्महत्या की कोशिश की, लेकिन सबसे ज्यादा दुखद पहलू यह रहा कि समय पर इलाज न मिलने के कारण उसकी मौत हो गई।
घटना आतरसोबा गांव की है, जहां नटवर यादव, जो 12वीं कक्षा का छात्र था, ने अपने ही कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या की कोशिश की।
परिजनों के अनुसार:
नटवर बोर्ड परीक्षा में एक पेपर खराब होने से काफी तनाव में था।
वह पिछले कुछ दिनों से चुपचाप और उदास रहने लगा था।
सुबह जब मां ने उसे आवाज लगाई तो कोई जवाब नहीं मिला।
दरवाजा अंदर से बंद था।
पड़ोसियों की मदद से दरवाजा तोड़ा गया और देखा गया कि नटवर फंदे पर लटका हुआ है।
उसकी सांसें चल रही थीं, इसलिए तुरंत उसे बिछीवाडा अस्पताल ले जाया गया।
बिछीवाडा अस्पताल में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था।
परिजन तुरंत उसे डूंगरपुर जिला अस्पताल लेकर गए।
लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पुलिस को सूचना मिलने के बाद अस्पताल पहुंची।
शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया गया।
परिजनों की रिपोर्ट के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है और पुलिस जांच जारी है।
यह घटना एक बार फिर एग्जाम प्रेशर और शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
क्या एक खराब पेपर का मतलब जीवन का अंत है?
क्या हम अपने बच्चों को तनाव झेलने के लिए तैयार कर पा रहे हैं?
नटवर की मौत सिर्फ एक छात्र की आत्महत्या नहीं, बल्कि पूरे समाज की विफलता का संकेत है।
शिक्षा प्रणाली को और संवेदनशील बनाना होगा।
मानसिक स्वास्थ्य और काउंसलिंग को स्कूलों का हिस्सा बनाना जरूरी है।
साथ ही, अस्पतालों में डॉक्टरों की अनुपलब्धता जैसी लापरवाहियां किसी की जान न लें, इसके लिए कड़ी व्यवस्था की जरूरत है।
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.