झुंझुनूं, राजस्थान : राजस्थान में शनिवार को आयोजित जेल प्रहरी सीधी भर्ती परीक्षा-2025 में एक मार्मिक दृश्य सामने आया, जिसने हर किसी का दिल छू लिया। झुंझुनूं में एक महिला अभ्यर्थी गोद में बच्चा लिए दौड़ती हुई परीक्षा केंद्र पहुंची, लेकिन 5 मिनट की देरी के चलते उसे परीक्षा में बैठने का मौका नहीं मिला।
सुबह 10 बजे शुरू होने वाली परीक्षा की पहली पारी के लिए, प्रवेश गेट सुबह 9 बजे बंद कर दिए गए थे।
महिला अभ्यर्थी गलती से पहले गलत सेंटर पर पहुंच गई थी और फिर जब सही केंद्र (JK Modi School) पहुंची तो समय बीत चुका था।
गोद में बच्चा लेकर महिला सुरक्षाकर्मियों से निवेदन करती रही, लेकिन कर्मचारी चयन बोर्ड की सख्त एसओपी के चलते प्रवेश नहीं दिया गया।
इस परीक्षा के लिए 803 पदों पर भर्ती के तहत कुल 8,20,942 अभ्यर्थियों ने रजिस्ट्रेशन कराया।
राज्यभर के 38 जिलों में 1,278 परीक्षा केंद्र बनाए गए।
झुंझुनूं जिले में ही दो पारियों में कुल 24,240 अभ्यर्थियों के रजिस्टर्ड होने की सूचना है।
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की गाइडलाइंस के अनुसार, परीक्षा के सुचारू संचालन के लिए
पहली पारी में सुबह 9 बजे
दूसरी पारी में दोपहर 2 बजे गेट बंद किए जाते हैं।
यह नियम जांच, पहचान और परीक्षा केंद्र के भीतर अनुशासन बनाए रखने के उद्देश्य से लागू किया गया है।
इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या इंसानियत और नियमों के बीच कोई संतुलन नहीं हो सकता?
गोद में बच्चा लिए दौड़ती महिला की मेहनत और संघर्ष क्या सिर्फ कुछ मिनटों के कारण बेकार चला गया?
क्या भविष्य में ऐसे मामलों के लिए किसी इमरजेंसी रिस्पॉन्स प्रोटोकॉल की जरूरत है?
राजस्थान जेल प्रहरी परीक्षा में इस महिला अभ्यर्थी की 5 मिनट की देरी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सरकारी परीक्षाओं में नियम कितने सख्त हैं।
हालांकि यह अनुशासन और निष्पक्षता के लिए जरूरी है, लेकिन ऐसे मानवीय मामलों में थोड़ी लचीलापन या समीक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि सपनों के पीछे दौड़ती मेहनत यूं अधूरी न रह जाए।
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