राजस्थान : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने अंबेडकर जयंती के अवसर पर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय, जयपुर में आयोजित एक गोष्ठी में अपनी ही पार्टी के नेताओं को जिम्मेदारी निभाने और सरकार के खिलाफ मुखर होने की नसीहत दी।
उन्होंने कहा कि अब रस्म अदायगी और बयानबाजी से कुछ नहीं होने वाला, हमें जनता की लड़ाई पूरी ताकत से लड़नी होगी।
डोटासरा ने कहा,
"अगर सच बोलने से जेल जाना पड़े तो चले जाओ, किस बात का डर है? हमारे पुरखों ने तो जेल जाकर ही देश को आजाद कराया था। अब हम क्या सिर्फ कुर्सी की चिंता में चुप रहें?"
उनका इशारा उन कांग्रेस नेताओं की ओर था जो बीजेपी और मौजूदा सरकार के खिलाफ खुलकर नहीं बोलते।
डोटासरा ने केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस तरह से निकाय और पंचायत चुनावों को आगे खिसकाया गया, उसी तरह विधानसभा चुनाव 2028 को भी टालने की कोशिश की जा सकती है।
उन्होंने कहा,
"जूली साहब ने बिल्कुल सही कहा कि ये सरकारें अब लोकतंत्र से ज्यादा डर और भ्रम का खेल खेल रही हैं।"
डोटासरा ने डॉ. भीमराव अंबेडकर को याद करते हुए कहा कि उन्होंने भी कभी अन्याय के खिलाफ समझौता नहीं किया। आज हमें भी उसी चेतना के साथ लड़ाई लड़नी है—खासकर उस सरकार के खिलाफ जो लोकतंत्र की नींव को कमजोर कर रही है।
डोटासरा का यह बयान स्पष्ट रूप से कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं को आक्रामक भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करने की एक कोशिश थी। यह भाषण कांग्रेस के अंदरूनी हालात और नेतृत्व की जिम्मेदारी को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच आया है।
निष्कर्ष:
डोटासरा के इस भाषण से यह स्पष्ट है कि कांग्रेस अब सिर्फ विरोध नहीं, प्रतिरोध की नीति की ओर बढ़ना चाहती है। सवाल यह है कि क्या बाकी कांग्रेस नेता भी उतनी ही मुखरता और जोखिम उठाने की हिम्मत दिखाएंगे?
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