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ट्रैफिक नियम आमजन के लिए मजाक:बाइक पर चार सवारी, जान से खिलवाड; नियम ताक पर, पुलिस रोकने में नाकाम

ट्रैफिक नियमों : का उल्लंघन अब आमजन के लिए एक मजाक बन चुका है, खासकर युवाओं के बीच बाइक पर तीन-चार सवारियों का ट्रेंड। यह ट्रेंड न सिर्फ सवारों की जान को जोखिम में डालता है, बल्कि दूसरे राहगीरों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़ा करता है। शहरी इलाकों में, खासकर प्रमुख चौराहों और गलियों में यह दृश्य सामान्य हो चुका है, जिससे ट्रैफिक पुलिस को अपनी जिम्मेदारी निभाने में भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।


बाइक पर चार सवारियां: एक खतरनाक ट्रेंड:

बाइक पर चार सवारी अब युवाओं के बीच एक सामान्य आदत बन गई है। बाइक पर सवारियों की संख्या बढ़ने से न सिर्फ बाइक का बैलेंस बिगड़ता है, बल्कि यह सड़क दुर्घटनाओं का कारण भी बनता है। खासकर रात के समय, जब वाहन तेज गति से दौड़ते हैं, तो ऐसे मामलों में दुर्घटना होने की संभावना और भी बढ़ जाती है।


ट्रैफिक पुलिस की नाकामी:

हालांकि ट्रैफिक पुलिस इन उल्लंघनों के बारे में बार-बार चेतावनी देती रही है, लेकिन सड़क पर इसका कोई खास असर नहीं दिखता। पुलिस कई बार बाइक सवारों को रोकने की कोशिश करती है, लेकिन ट्रैफिक के दबाव, उपयुक्त संसाधनों की कमी और सिर्फ कुछ सवारियों के उल्लंघन से निपटने में असमर्थता के कारण ये घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।


सड़क पर बढ़ता खतरा:

यह अव्यवस्था न सिर्फ सवारों की जान को खतरे में डाल रही है, बल्कि अन्य राहगीरों की सुरक्षा को भी गंभीर खतरे में डाल रही है। बाइक पर अधिक सवारियां होने से वाहन की गति पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है, जिससे सड़क दुर्घटनाओं की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।


क्या कहता है कानून:

भारत में मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के तहत, बाइक पर अधिकतम दो सवारियों का नियम है। इसके उल्लंघन पर जुर्माना और सजा का प्रावधान है। हालांकि, नियमों के उल्लंघन की बढ़ती घटनाओं ने यह साबित कर दिया है कि सड़क सुरक्षा के मामले में जागरूकता और कड़ी निगरानी की आवश्यकता है।


आवश्यक कदम:

सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना और पुलिस कार्रवाई को मजबूत करना इस समस्या का समाधान हो सकता है। युवाओं में सड़क सुरक्षा के महत्व को समझाना और उन्हें यातायात नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करना अत्यंत आवश्यक है।


सारांश:

बाइक पर चार सवारियों का ट्रेंड सड़क सुरक्षा को गंभीर खतरे में डाल रहा है। यह न केवल सवारों की जान के लिए खतरनाक है, बल्कि अन्य राहगीरों के लिए भी जोखिम पैदा करता है। पुलिस की नाकामी और जागरूकता की कमी इस समस्या को और बढ़ा रही है। समय रहते इस पर कड़ा कदम उठाने की जरूरत है, ताकि सड़क दुर्घटनाओं को कम किया जा सके और ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन रोका जा सके।

Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

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