जयपुर : राजस्थान में नया शिक्षा सत्र शुरू होते ही पेरेंट्स ने बच्चों की यूनिफॉर्म, कॉपी-किताबें और स्टेशनरी पर भारी खर्च कर दिया है। अब जब यह सब खरीदा जा चुका है, तब शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने प्राइवेट स्कूलों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इस गाइडलाइन के अनुसार अब स्कूल 5 साल तक यूनिफॉर्म नहीं बदल सकेंगे, और ना ही किसी खास दुकान से स्टेशनरी खरीदने का दबाव बना सकेंगे।
पेरेंट्स का कहना है कि अगर यह आदेश सत्र शुरू होने से पहले आता, तो वे गैर जरूरी खर्च से बच सकते थे। जयपुर की रहने वाली अभिभावक नीता शर्मा कहती हैं, “हमने तीन बच्चों की यूनिफॉर्म और स्टेशनरी में ₹10,000 से ज्यादा खर्च कर दिया। अब सरकार कह रही है कि स्कूल बदल नहीं सकते, तो क्या हमारे पैसे वापस मिलेंगे?”
पांच साल तक स्कूल यूनिफॉर्म में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
स्कूल अब किसी विशेष दुकान से किताबें या स्टेशनरी खरीदने का दबाव नहीं बना सकेंगे।
किसी भी प्रकार की ब्रांडेड या कस्टमाइज्ड यूनिफॉर्म की अनिवार्यता नहीं होगी।
यदि कोई बदलाव करना हो तो उसकी पूर्व अनुमति और सार्वजनिक सूचना अनिवार्य होगी।
विद्यालय स्तर पर शिकायत निवारण कमेटी बनाई जाएगी, जहां अभिभावक अपनी शिकायत दर्ज कर सकेंगे।
कुछ निजी स्कूलों ने इस फैसले पर सहमति जताई है, तो कुछ ने इसे "बहुत देर से लिया गया निर्णय" बताया है। स्कूल एसोसिएशन के एक सदस्य ने कहा, “नीतियां सत्र शुरू होने से पहले घोषित होतीं, तो हम भी अभिभावकों को स्पष्ट दिशा-निर्देश दे सकते थे।”
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा,
“हमें शिकायतें मिल रही थीं कि निजी स्कूल यूनिफॉर्म और स्टेशनरी के नाम पर अभिभावकों पर अनावश्यक दबाव बना रहे हैं। अब से यह नहीं चलेगा। पारदर्शिता और सुविधा दोनों जरूरी हैं।”
सरकार द्वारा जारी यह गाइडलाइन छात्रों और अभिभावकों के हित में है, लेकिन इसकी टाइमिंग पर सवाल उठना लाज़मी है। भविष्य में ऐसी घोषणाएं सत्र शुरू होने से पहले की जाएं, तो यह सभी के लिए अधिक लाभकारी होगी।
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