अलवर : का ऐतिहासिक त्रिपुलेश्वर महादेव मंदिर अपनी अनोखी मान्यता और रहस्यमयी शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है। यह 300 साल पुराना मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि अपनी विशेष परंपराओं के कारण भी चर्चा में रहता है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां स्थित शिवलिंग दिनभर में कई बार रंग बदलता है, जो श्रद्धालुओं के लिए अद्भुत और चमत्कारी अनुभव होता है।
त्रिपुलेश्वर महादेव मंदिर के आसपास के बाजारों में एक अनोखी परंपरा देखने को मिलती है। यहां हर दिन सुबह मंदिर में महादेव की आरती के बाद ही दुकानें खुलती हैं। स्थानीय लोगों और व्यापारियों की गहरी आस्था है कि जब तक शिव की पूजा नहीं होती, तब तक व्यापार शुरू करना शुभ नहीं माना जाता।
मंदिर में विराजमान शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि यह सुबह हल्के सफेद रंग का होता है, दोपहर में गुलाबी और रात में काले रंग में परिवर्तित हो जाता है। यह बदलाव वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तापमान और नमी के कारण हो सकता है, लेकिन भक्त इसे महादेव का चमत्कार मानते हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना करीब 300 साल पहले की गई थी और इसे राजपूताना काल में राजा भूपाल सिंह ने पुनर्निर्मित करवाया था। मंदिर की वास्तुकला राजस्थानी शैली की झलक देती है और इसमें की गई नक्काशी बेहद आकर्षक है।
हर साल श्रावण मास और महाशिवरात्रि के दौरान इस मंदिर में हजारों श्रद्धालु जलाभिषेक करने पहुंचते हैं। भव्य भजन संध्याएं और शिव पार्वती विवाह समारोह यहां की खास परंपराओं में शामिल हैं।
अलवर का यह प्राचीन मंदिर ना सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि अपनी अनोखी मान्यताओं और परंपराओं से भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा भी प्रदान करता है।
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