राजस्थान : की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने स्वेच्छा से अपना सरकारी बंगला छोड़ने का आवेदन दिया, जिसे सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने स्वीकार कर लिया। यह वही बंगला है, जिसे पहले पूर्व राष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत को आवंटित किया गया था और अब उनके परिवार के पास है।
राजस्थान की भजनलाल सरकार ने 14 जनवरी को 17 मंत्रियों को सरकारी आवास आवंटित किए थे और 9 फरवरी को 6 अन्य मंत्रियों को बंगले मिले, जिनमें किरोड़ी लाल मीणा भी शामिल थे। लेकिन अब उन्होंने खुद इस बंगले को छोड़ने का फैसला लिया है।
विधानसभा चुनाव के बाद से ही किरोड़ी लाल मीणा अपनी ही पार्टी और सरकार के खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं। वे कई बार सरकार की नीतियों और कार्यशैली पर सवाल उठा चुके हैं, जिससे वे लगातार चर्चा में बने रहे।
लोकसभा चुनाव के दौरान मीणा ने दौसा समेत 7 सीटों पर भाजपा की जीत का दावा किया था और कहा था कि यदि इनमें से कोई भी सीट हारी तो वे मंत्री पद से इस्तीफा देंगे। लेकिन जब भाजपा इन 7 में से 4 सीटें हार गई, तो उन्होंने 4 जुलाई को इस्तीफा दे दिया, हालांकि अब तक इसे मंजूरी नहीं मिली है।
राजस्थान विधानसभा के दो बजट सत्रों से किरोड़ी लाल मीणा ने दूरी बनाए रखी। उन्होंने बीमारी का हवाला देते हुए सत्रों में शामिल नहीं होने का फैसला किया, जिससे राजनीतिक गलियारों में कई अटकलें लगाई जाने लगीं।
किरोड़ी लाल मीणा ने राज्य सरकार पर फोन टैपिंग और निगरानी करवाने के गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि सीआईडी लगातार उनकी जासूसी कर रही है। इस बयान को लेकर भाजपा ने उन्हें नोटिस जारी किया, जिसके बाद मीणा ने सफाई देते हुए कहा,
"जब मैं आंदोलन करता था, तब मेरी जासूसी होती थी और मेरा फोन टैप किया जाता था।"
किरोड़ी लाल मीणा के इस कदम के बाद राजनीति में और हलचल मच सकती है। बंगला छोड़ने के उनके फैसले को उनके राजनीतिक भविष्य और पार्टी के साथ उनके संबंधों के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। अब देखना होगा कि भाजपा और राज्य सरकार इस पर क्या रुख अपनाते हैं।
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