जयपुर : राजस्थान में पीटीआई भर्ती परीक्षा 2022 में फर्जी डिग्री घोटाले को लेकर एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) की जांच तेज हो गई है। अब कैंडिडेट्स को फर्जी डिग्री जारी करने वाली जेएस यूनिवर्सिटी के चांसलर और रजिस्ट्रार से पूछताछ के बाद कई बड़े खुलासे हुए हैं।
एसओजी की जांच में सामने आया कि जेएस यूनिवर्सिटी ने पीटीआई भर्ती परीक्षा के लिए उम्मीदवारों को फर्जी डिग्री उपलब्ध कराई थी। इसके लिए एक डिग्री के एवज में औसतन एक लाख रुपये तक लिए गए।
एसओजी की रिपोर्ट के अनुसार, यह फर्जीवाड़ा सिर्फ पीटीआई भर्ती परीक्षा तक सीमित नहीं था। यूनिवर्सिटी ने लाइब्रेरियन भर्ती परीक्षा, जूनियर इंजीनियर (जेईएन) भर्ती परीक्षा और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) भर्ती परीक्षा में भी फर्जी डिग्री बांटी थी।
जांच में यह भी पता चला कि राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों के कैंडिडेट्स को भी जेएस यूनिवर्सिटी द्वारा फर्जी प्रमाणपत्र दिए गए थे। पीटीआई भर्ती परीक्षा में 2067 अभ्यर्थियों ने खुद को इस यूनिवर्सिटी का छात्र बताया था, जबकि यूनिवर्सिटी को मान्यता मिलने के बाद केवल 600 छात्रों को ही डिग्री देने की अनुमति थी।
एसओजी के डीआईजी परिस देशमुख ने बताया कि पीटीआई भर्ती परीक्षा के आवेदनों के डेटा विश्लेषण के दौरान कुछ अन्य यूनिवर्सिटी भी शक के घेरे में आई हैं। इनमें ओपीजेएस यूनिवर्सिटी और अन्य निजी विश्वविद्यालय शामिल हैं, जिन्होंने स्वीकृत सीटों से अधिक छात्रों को डिग्री प्रदान की थी।
एसओजी को संदेह है कि कई अभ्यर्थियों ने फर्जी डिग्री के सहारे नौकरी प्राप्त की और परीक्षा में पास होने के लिए या तो डमी कैंडिडेट का सहारा लिया या ब्लूटूथ डिवाइस के जरिए नकल की। इस मामले में एसओजी पहले ही शिक्षा विभाग को विस्तृत रिपोर्ट सौंप चुकी है, और अब नए खुलासे के बाद जांच का दायरा और बढ़ा दिया गया है।
फिलहाल, जेएस यूनिवर्सिटी के चांसलर सुकेश यादव, रजिस्ट्रार नंदन मिश्रा और दलाल अजय भारद्वाज को 12 मार्च तक पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। एसओजी अन्य संदिग्ध यूनिवर्सिटियों की भी जांच कर रही है और इसमें कई और गिरफ्तारियां संभव हैं।
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