अजमेर: राजस्थान में अवैध निर्माणों पर प्रशासन का बुलडोजर एक्शन जारी है। इसी क्रम में, अजमेर की आनासागर झील के किनारे बने सेवन वंडर्स पार्क पर भी प्रशासन ने कार्रवाई की। यह कदम सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेश के बाद उठाया गया। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि यदि निर्माण नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे तोड़ना आवश्यक होगा। बुलडोजर कार्रवाई के दौरान पार्क में लगी स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की प्रतिमा भी हटा दी गई।
इस कार्रवाई को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। बीजेपी ने इसे सही ठहराते हुए कहा कि सेवन वंडर्स गुलामी का प्रतीक है और इसे पूरी तरह ध्वस्त किया जाना चाहिए। वहीं, कांग्रेस ने इस निर्माण को मंजूरी देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।
अजमेर विकास प्राधिकरण ने सेवन वंडर्स पार्क और गांधी स्मारक पर कार्रवाई की, जबकि नगर निगम ने आनासागर झील के पास बने फूड कोर्ट को भी ध्वस्त कर दिया।
एनजीटी ने अपने आदेश में साफ कहा कि वेटलैंड क्षेत्र में कोई भी निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद अधिकारियों ने नियमों को नजरअंदाज कर निर्माण जारी रखा, जिससे सरकार को 120 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
बीजेपी नेता सुरेंद्र सिंह शेखावत ने मांग की कि इस नुकसान की भरपाई उन अधिकारियों से करवाई जाए, जिन्होंने मनमाने तरीके से फैसले लिए।
शेखावत ने आरोप लगाया कि स्मार्ट सिटी लिमिटेड के फंड का दुरुपयोग कर आनासागर झील के क्षेत्र को संकुचित कर दिया गया, जिससे बरसात के दौरान शहर में बाढ़ जैसी स्थिति बन रही है।
उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से जुड़े भाजपा विधायकों को दरकिनार कर मनमाने ढंग से फंड खर्च किया गया।
इस कार्रवाई पर युथ कांग्रेस ने प्रदर्शन किया और सेवन वंडर्स के निर्माण को मंजूरी देने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी जनता का ध्यान भटकाने के लिए ऐसे मुद्दों को उछाल रही है।
इस मामले में भाजपा और कांग्रेस के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। जहां बीजेपी इसे गुलामी का प्रतीक बताकर पूरी तरह तोड़ने की मांग कर रही है, वहीं कांग्रेस ने इसे प्रशासन की लापरवाही करार दिया है और जवाबदेही तय करने की बात कही है।
अब देखना होगा कि इस विवादित निर्माण और बुलडोजर एक्शन को लेकर आगे क्या कदम उठाए जाते हैं।
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