नई दिल्ली: फरवरी 2025 में खुदरा महंगाई दर घटकर 3.61% पर आ गई, जो पिछले सात महीनों का सबसे निचला स्तर है। यह गिरावट मुख्य रूप से सब्जियों और प्रोटीन युक्त खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी के कारण हुई है। इस गिरावट से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिए ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश बनी हुई है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा महंगाई दर जनवरी 2025 में 4.26% और फरवरी 2024 में 5.09% थी। साल-दर-साल तुलना में फरवरी 2025 में यह दर 3.75% रही।
NSO के अनुसार, जनवरी 2025 की तुलना में फरवरी 2025 में खाद्य मुद्रास्फीति में 222 आधार अंकों की गिरावट आई। मई 2023 के बाद यह सबसे कम स्तर पर पहुंच गई है। सब्जियों, अंडे, मांस-मछली, दालों, दूध और उससे बने उत्पादों की कीमतों में गिरावट से यह संभव हो सका है।
RBI को खुदरा महंगाई दर को 4% (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) के दायरे में बनाए रखने का दायित्व सौंपा गया है। महंगाई में इस गिरावट के चलते केंद्रीय बैंक के पास ब्याज दरों में कटौती का अवसर बन सकता है। इससे पहले, फरवरी में RBI ने रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती की थी। अब 9 अप्रैल को होने वाली अगली मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई द्वारा अगला कदम उठाए जाने की संभावना है।
घरेलू बजट पर राहत: खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी से आम जनता को राहत मिलेगी।
ब्याज दरों में संभावित कटौती: आरबीआई द्वारा अगली नीति में ब्याज दरों में कटौती होने की संभावना से कर्ज लेना सस्ता हो सकता है।
आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा: कम महंगाई और संभावित नीतिगत राहत से बाजार और उपभोक्ता व्यय में वृद्धि हो सकती है।
महंगाई दर में गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है। इससे न केवल आम जनता को राहत मिलेगी, बल्कि आरबीआई को भी ब्याज दरों को लेकर फैसले लेने में सहूलियत होगी। 9 अप्रैल को घोषित होने वाली मौद्रिक नीति में आगे क्या फैसला लिया जाता है, इस पर सभी की नजरें टिकी होंगी।
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