भुसावर (भरतपुर) : में होली के अवसर पर कई अनोखी परंपराएं देखने को मिलती हैं। भरतपुर के भुसावर कस्बे में धूलंडी के दिन होली की अनूठी बारात निकाली जाती है, जिसमें एक अविवाहित युवक को दूल्हा बनाकर ऊंट पर बैठाया जाता है और पूरे कस्बे में बैंड-बाजों के साथ उसकी बारात निकाली जाती है। यह अनोखी परंपरा पिछले 250 वर्षों से चली आ रही है।
गुरुवार और शुक्रवार को भुसावर कस्बे में होली प्रेम, सौहार्द और भाईचारे के साथ मनाई गई। धूलंडी के दिन जब होली के दूल्हे की बारात निकली, तो बाराती गुलाल और अबीर उड़ाते हुए बैंड-बाजे पर बज रहे होली के गीतों पर नृत्य कर रहे थे। कस्बे के लोगों ने अपने घरों की छतों से रंग और गुलाल डालकर बारात का स्वागत किया।
यह परंपरा भुसावर के जैन गली स्थित जैन मंदिर तक चलती है, जहां दूल्हे ने तोरण मारा और फिर शगुन के तौर पर उसकी प्रतीकात्मक पिटाई भी की गई। मान्यता है कि जिस युवक की शादी में अड़चन आती है, उसे होली का दूल्हा बनाया जाता है, ताकि अगले वर्ष तक उसकी शादी हो जाए।
बुजुर्गों के अनुसार, पहले इस परंपरा में दूल्हे को गंधर्व (घोड़े जैसी संरचना) पर बैठाया जाता था, लेकिन अब उसकी जगह ऊंट ने ले ली है। यह अनूठी परंपरा न केवल भुसावर की सांस्कृतिक विरासत को संजोए हुए है, बल्कि इसे होली के उत्सव में और भी खास बना देती है।
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