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सचिवालय कैंटीन का टेंडर नई फर्म को देने पर रोक:3 करोड़ बकाया चुकाए बिना नई फर्म को टेंडर, हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने सचिवालय कैंटीन का टेंडर नई फर्म को देने पर अंतरिम रोक लगा दी है। यह आदेश सचिवालय कर्मचारी संघ की याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी किया गया। न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने मुख्य सचिव, कार्मिक सचिव और उप सचिव को नोटिस जारी कर 30 मई तक जवाब मांगा है।

क्या है मामला?

राजस्थान सचिवालय कैंटीन का संचालन अब तक सचिवालय कर्मचारी संघ द्वारा किया जा रहा था। लेकिन हाल ही में बिना कानूनी प्रक्रिया अपनाए इस कैंटीन का टेंडर एक नई फर्म को दे दिया गया।

  • बकाया राशि का विवाद: कर्मचारी संघ का दावा है कि कैंटीन पर 3 करोड़ रुपये की बकाया राशि है, जिसे चुकाए बिना नई फर्म को टेंडर देना गैरकानूनी है।

  • याचिका का दावा: कर्मचारी संघ का कहना है कि बिना कानूनी प्रक्रिया और बकाया राशि की वसूली के कैंटीन संचालन का अधिकार नई फर्म को सौंपना अनियमितता है।

  • हाईकोर्ट का नोटिस: हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, कार्मिक सचिव और उप सचिव से मामले में स्थिति स्पष्ट करने के लिए जवाब मांगा है।


कानूनी प्रक्रिया की अनदेखी पर सवाल

कर्मचारी संघ ने अपनी याचिका में यह भी आरोप लगाया कि नई फर्म को टेंडर देने के दौरान नियमों का उल्लंघन किया गया है।

प्रमुख मुद्दे:

  1. बकाया राशि का भुगतान नहीं हुआ: 3 करोड़ रुपये की बकाया राशि का भुगतान नहीं होने के बावजूद नई फर्म को टेंडर सौंपा गया।

  2. कानूनी प्रक्रिया की अनदेखी: कर्मचारी संघ के दावे के अनुसार, टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता और कानूनी प्रावधानों का पालन नहीं किया गया।

  3. कर्मचारी संघ का अधिकार: कैंटीन का संचालन पहले से ही कर्मचारी संघ के माध्यम से हो रहा था, लेकिन बिना पूर्व सूचना के इसे नई फर्म को दिया गया।


हाईकोर्ट की सुनवाई में क्या हुआ?

याचिका पर सुनवाई के दौरान, राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रथम दृष्टया पाया कि मामला गंभीर है और जब तक सभी पक्षों की सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक टेंडर पर रोक लगाई जानी चाहिए।

हाईकोर्ट का आदेश:

  • टेंडर पर अंतरिम रोक लगाई गई।

  • मुख्य सचिव, कार्मिक सचिव और उप सचिव को 30 मई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश।

  • अगली सुनवाई की तारीख 30 मई तय की गई है।


क्या कहते हैं कर्मचारी संघ?

सचिवालय कर्मचारी संघ ने हाईकोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। संघ के अध्यक्ष ने कहा—

"हमने हाईकोर्ट में न्याय की गुहार लगाई थी और हमें विश्वास है कि कोर्ट में हमारी बात सुनी जाएगी। सचिवालय कैंटीन कर्मचारी संघ की मेहनत का नतीजा है और इसे यूं ही किसी नई फर्म को नहीं सौंपा जा सकता।"


अगले कदम क्या होंगे?

  • मुख्य सचिव, कार्मिक सचिव और उप सचिव को 30 मई तक हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करना होगा।

  • यदि बकाया राशि और टेंडर प्रक्रिया में कोई अनियमितता पाई जाती है, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।

  • हाईकोर्ट का अंतिम निर्णय कैंटीन के संचालन को लेकर भविष्य की दिशा तय करेगा।

Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

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