राजस्थान : के कोटा शहर में एक कोचिंग छात्र ने 10वीं बोर्ड परीक्षा में 61% अंक आने के बाद आत्महत्या कर ली। मृतक छात्र की पहचान अनिकेश के रूप में हुई है, जो मूल रूप से बिहार का रहने वाला था और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए कोटा के जवाहर नगर इलाके में अपने परिवार के साथ रह रहा था।
मंगलवार को सीबीएसई 10वीं बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट जारी हुआ, जिसमें अनिकेश को 61% अंक मिले। रिजल्ट देखने के बाद से ही वह तनाव में था। परिवार वालों ने उसे समझाने का प्रयास किया, लेकिन तनाव और निराशा के चलते उसने आत्मघाती कदम उठा लिया।
कोटा, जो कि देशभर में अपनी कोचिंग इंडस्ट्री के लिए जाना जाता है, एक बार फिर छात्र आत्महत्या की घटना से सुर्खियों में है। यह शहर हर साल हजारों छात्रों का भविष्य संवारता है, लेकिन यहां बढ़ते तनाव और मानसिक दबाव के कारण छात्रों की आत्महत्या की घटनाएं भी लगातार सामने आती रहती हैं।
जवाहर नगर थाना पुलिस ने मामले की सूचना पाते ही मौके पर पहुंचकर छात्र के शव को एमबीएस अस्पताल की मोर्चरी में भिजवा दिया है। पुलिस इस मामले में परिजनों और दोस्तों से पूछताछ कर रही है। प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि छात्र ने बोर्ड रिजल्ट में कम अंक आने के कारण तनाव में आकर यह कदम उठाया।
इस घटना ने एक बार फिर से छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और परीक्षा के दबाव पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि छात्रों को केवल परीक्षा परिणाम पर केंद्रित होने के बजाय उनकी रुचियों और प्रतिभा को समझकर मार्गदर्शन दिया जाना चाहिए।
परिजनों के अनुसार, अनिकेश पढ़ाई में अच्छा था और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए कोटा आया था। लेकिन बोर्ड परीक्षा में अपेक्षित अंक न आने के कारण वह तनाव में आ गया था। परिवार ने उसे समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे उसे बचा नहीं सके।
कोटा शहर में यह कोई पहली घटना नहीं है। हर साल यहां कई छात्र पढ़ाई के दबाव और परीक्षा परिणाम के तनाव के कारण आत्महत्या कर लेते हैं। कोचिंग इंडस्ट्री के कारण यह शहर शिक्षा का केंद्र बन गया है, लेकिन इसके साथ ही छात्रों पर दबाव भी बढ़ता जा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए। माता-पिता और शिक्षक को बच्चों को समझना चाहिए और उन पर परिणाम का दबाव नहीं डालना चाहिए। शिक्षा का उद्देश्य केवल अंक प्राप्त करना नहीं, बल्कि एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीना भी होना चाहिए।
कोटा में संचालित कोचिंग संस्थानों पर भी सवाल उठते रहे हैं कि वे छात्रों को केवल परीक्षा में सफलता प्राप्त करने पर केंद्रित कर देते हैं, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देते। कई संस्थान छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराते हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में यह प्रयास पर्याप्त नहीं होते।
कोटा में अनिकेश की आत्महत्या की घटना एक बार फिर से शिक्षा प्रणाली और छात्रों पर बढ़ते दबाव की सच्चाई को सामने लाती है। शिक्षा केवल अंक प्राप्त करने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह छात्रों को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाने का माध्यम भी होनी चाहिए।
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