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'पचास साल से बेघर हैं बावरिया समाज के लोग': सीकर के खंडेला में निशुल्क भूखंड की मांग, कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

सीकर। राजस्थान के सीकर जिले के खंडेला विधानसभा क्षेत्र में विमुक्त बावरिया जाति के लोगों ने स्थायी आवास की मांग को लेकर जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। खातुंदरा, रॉयल और गुरारा ग्राम पंचायत के बावरिया समाज के सैकड़ों लोग कलेक्टरेट कार्यालय पहुंचे और प्रशासन से निशुल्क आवासीय भूखंड आवंटित करने की मांग की।

पचास वर्षों से बेघर जीवन जीने को मजबूर

बावरिया समाज के प्रतिनिधियों का कहना है कि वे पिछले पचास वर्षों से बेघर जीवन जीने को मजबूर हैं। उनके पास न तो अपना घर है और न ही स्थायी आवास। वे अस्थायी झोपड़ियों में जीवन बिता रहे हैं, जो किसी भी समय उजड़ सकती हैं।

क्या है बावरिया समाज की समस्या?

बावरिया समाज राजस्थान का विमुक्त जाति समुदाय है, जिसे अंग्रेजों के जमाने में 'अपराधी जनजाति' घोषित कर दिया गया था। आजादी के बाद यह समुदाय भले ही कानूनी रूप से विमुक्त हो गया हो, लेकिन सामाजिक और आर्थिक स्तर पर इन्हें अभी भी पिछड़ेपन का सामना करना पड़ता है। स्थायी आवास न होने के कारण ये लोग सरकारी योजनाओं का लाभ भी पूरी तरह नहीं उठा पाते।

प्रशासन से क्या मांग की गई है?

बावरिया समाज के लोगों ने कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में निम्नलिखित मांगें रखीं:

  1. निशुल्क आवासीय भूखंड आवंटन: सभी बावरिया परिवारों को स्थायी आवास के लिए निशुल्क भूखंड दिए जाएं।

  2. बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं: जिन स्थानों पर बावरिया समाज के लोग रहते हैं, वहां पेयजल, बिजली और शौचालय की सुविधाएं मुहैया कराई जाएं।

  3. शासनादेश जारी किया जाए: जिला प्रशासन द्वारा एक स्पष्ट शासनादेश जारी किया जाए, जिसमें उनके आवासीय अधिकारों की पुष्टि हो।

प्रशासन का क्या है रुख?

सीकर जिला कलेक्टर ने बावरिया समाज की समस्याओं को गंभीरता से सुनते हुए उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। उन्होंने संबंधित विभागों को इस मामले में जल्द से जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, ताकि बावरिया समाज की आवास समस्या का समाधान हो सके।

समाज के लोगों का कहना

बावरिया समाज के एक वरिष्ठ व्यक्ति रामलाल बावरिया ने कहा, "हम पिछले पचास वर्षों से बेघर हैं। सरकारें बदलती रहीं, लेकिन हमारी स्थिति नहीं बदली। हमें केवल आश्वासन मिलते रहे हैं। अब हम स्थायी आवास के बिना नहीं रह सकते।"

क्यों है निशुल्क आवास की जरूरत?

बावरिया समाज का जीवन अस्थिरता से भरा हुआ है। उनका कोई स्थायी ठिकाना नहीं है, जिसके कारण वे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं। निशुल्क आवासीय भूखंड मिलने से उनका जीवन स्थिर हो सकता है और वे मुख्यधारा में शामिल हो सकते हैं।

क्या कहता है कानून?

राजस्थान सरकार के नियमों के अनुसार, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों को निशुल्क आवासीय भूखंड दिए जा सकते हैं। इसके लिए संबंधित जिला प्रशासन को प्रस्ताव भेजकर राज्य सरकार की मंजूरी लेनी होती है।

निष्कर्ष

सीकर जिले के खंडेला क्षेत्र में बावरिया समाज के लोग वर्षों से स्थायी आवास की आस में हैं। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि उनकी इस समस्या का स्थायी समाधान निकाले, ताकि वे एक सुरक्षित और स्थिर जीवन जी सकें।

Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

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