जयपुर: राजस्थान की बहुचर्चित पुलिस उप निरीक्षक (SI) भर्ती-2021 को रद्द किया जाए या नहीं, इस पर अंतिम फैसला आज (मंगलवार) कैबिनेट सब-कमेटी की अहम बैठक में लिया जाएगा। इस निर्णय को लेकर न केवल हजारों अभ्यर्थियों की उम्मीदें टिकी हैं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक नजरों से भी यह एक संवेदनशील मुद्दा बन चुका है।
वर्ष 2021 में हुई SI भर्ती प्रक्रिया के बाद 2024 में SOG (विशेष अभियान समूह) ने बड़ी कार्रवाई की थी। राजस्थान पुलिस एकेडमी और अन्य स्थानों से फर्जी तरीके से पास हुए अभ्यर्थियों को पकड़कर घोटाले की परतें खोली गईं। इसके बाद से भर्ती को लेकर कई शिकायतें, जांच और कोर्ट केस चल रहे हैं।
राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार से SI भर्ती को लेकर अपना स्टैंड स्पष्ट करने को कहा है। कोर्ट में 26 मई को अगली सुनवाई तय की गई है। ऐसे में सरकार की कैबिनेट सब-कमेटी आज यह तय करेगी कि भर्ती रद्द की जाएगी, आंशिक रूप से रद्द होगी या दोषियों को चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी।
जहां एक ओर भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं, वहीं हजारों अभ्यर्थी और उनके परिजन इस अनिश्चितता से परेशान हैं। कई अभ्यर्थियों ने कहा है कि जो उम्मीदवार ईमानदारी से परीक्षा पास किए हैं, उन्हें इस पूरे विवाद में झोंकना अन्याय होगा।
एक अभ्यर्थी के पिता ने कहा:
"मेरे बेटे ने तीन साल की मेहनत से परीक्षा पास की है। यदि पूरी भर्ती रद्द की जाती है तो यह मेहनती युवाओं के साथ अन्याय होगा। सरकार को सिर्फ दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए, सभी को सजा देना तानाशाही होगी।"
पूरी भर्ती रद्द करना और दोबारा परीक्षा आयोजित करना।
केवल फर्जी चयनित अभ्यर्थियों को बाहर करना और बाकी प्रक्रिया वैसी ही रखना।
नए सिरे से सत्यापन कर चरणबद्ध कार्रवाई करना।
SI भर्ती विवाद सिर्फ प्रशासनिक या कानूनी मामला नहीं रहा। इसके पीछे राजनीतिक दबाव और सामाजिक संगठनों की निगरानी भी लगातार बनी हुई है। युवा संगठनों और छात्र संगठनों ने पहले भी विरोध-प्रदर्शन किए हैं, और यदि भर्ती रद्द होती है तो यह एक बड़ा जन आंदोलन भी बन सकता है।
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