जयपुर। राजस्थान की एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) में कार्यरत रहे एएसपी सुरेंद्र पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। अब सामने आया है कि सुरेंद्र ने भरतपुर के एक दलाल को वसूली के लिए थानों में सक्रिय कर रखा था, जो एसएचओ को धमकाता था और रिश्वत न देने पर ट्रैप करने की धमकी देता था।
सूत्रों के अनुसार, आरोपी एएसपी सुरेंद्र ने सवाई माधोपुर जिले के थानों से वसूली के लिए भरतपुर निवासी एक दलाल को लगाया था। यह दलाल सीधे थानों में जाकर एसएचओ से कहता था— “साहब नाराज हैं, पैसे लेकर पहुंचो, नहीं तो ट्रैप हो जाओगे।”
इस तरह की कई धमकी भरी कॉल्स की रिकॉर्डिंग ACB टीम के हाथ लगी है, जो अब जांच का मुख्य हिस्सा बन चुकी हैं।
इस मामले ने राजस्थान पुलिस और एसीबी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस अधिकारी को भ्रष्टाचार रोकने की जिम्मेदारी दी गई थी, वही खुद वसूली और ब्लैकमेलिंग में लिप्त पाया गया।
पूछताछ में यह भी सामने आया है कि दलालों के जरिए महीने की वसूली तय होती थी और न देने पर थानों और अधिकारियों को झूठे ट्रैप में फंसाने की साजिश रची जाती थी।
इस प्रकरण के बाद अब भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों की विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं। जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कड़े कदम उठाने की मांग की है। वहीं, दलाल की भूमिका सामने आने के बाद पुलिस मुख्यालय भी सतर्क हो गया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया,
"इस तरह के मामलों में केवल निलंबन से बात नहीं बनेगी, ऐसे अफसरों और उनके नेटवर्क को पूरी तरह खत्म करना होगा।"
निष्कर्ष:
राजस्थान में भ्रष्टाचार के खिलाफ जिम्मेदार एजेंसी में ही भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हो चुकी हैं। भरतपुर के दलाल और एएसपी सुरेंद्र की साठगांठ से न केवल वसूली हुई, बल्कि पुलिस थानों में भय का माहौल बना दिया गया। अब देखना है कि इस मामले में कितनी गहराई से जांच होती है और क्या दोषियों को सजा मिलती है।
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