जयपुर/अलवर। राजस्थान की एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स (AGTF) को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। 6 साल पहले कुख्यात गैंगस्टर पपला गुर्जर को थाने से छुड़ाकर ले जाने वाले बदमाश राजवीर उर्फ लारा गुर्जर (32) को मंगलवार को राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर से गिरफ्तार कर लिया गया है।
सितंबर 2019 में अलवर के बहरोड़ थाने में हुई उस सनसनीखेज वारदात को लोग आज भी नहीं भूले, जब पपला गुर्जर को छुड़ाने आए बदमाशों ने AK-47 से पुलिस स्टेशन पर फायरिंग की थी।
इस हमले में लारा गुर्जर मुख्य आरोपी था, जो वारदात के बाद लगातार फरार चल रहा था।
गिरफ्तारी से बचने के लिए लारा गुर्जर ने अपनी पहचान छिपाकर अखाड़ों में पहलवानी शुरू की।
वह हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और पंजाब के कई अखाड़ों में छिपता रहा
उसने नकली पहचान पत्रों का उपयोग किया और कई बार नेपाल बॉर्डर पार करने की कोशिश की, लेकिन हर बार बच निकला।
इस मामले में लंबे समय से AGTF, SOG और ATS समेत कई एजेंसियां अलर्ट थीं।
राजस्थान पुलिस पर इस मामले में दबाव था, क्योंकि पपला को थाने से भगाने की घटना ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए थे।
लारा पर पुलिस पर हमला, आर्म्स एक्ट, हत्या की कोशिश और संगठित अपराध जैसे गंभीर मुकदमे दर्ज हैं।
AGTF के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार:
“लारा की गिरफ्तारी के बाद अब पपला गुर्जर गैंग के नेटवर्क और फंडिंग की जांच तेज की जा रही है। जल्द ही अन्य सहयोगियों की भी गिरफ्तारी संभव है।”
सितंबर 2019: गैंगस्टर पपला गुर्जर को अलवर के बहरोड़ थाने में रखा गया था
सुबह 9 बजे: हथियारबंद बदमाशों ने AK-47 से फायरिंग की और पपला को छुड़ाकर फरार हो गए
पुलिस पर बड़ा सवाल उठा कि कैसे थाने में घुसकर ऐसा हमला हुआ
लारा गुर्जर की गिरफ्तारी से राजस्थान पुलिस को पपला गैंग की रीढ़ तोड़ने में बड़ी मदद मिलेगी।
अब जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि छह सालों तक उसे संरक्षण कौन देता रहा और गैंग के पास हथियारों की सप्लाई कैसे होती थी।
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