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सीकर की बेटी गीता सामोता ने रचा इतिहास, माउंट एवरेस्ट पर लहराया तिरंगा, बनी CISF की पहली महिला अधिकारी

राजस्थान : के सीकर जिले के छोटे से गांव चक की बेटी और CISF (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) की उपनिरीक्षक गीता सामोता ने एक नया इतिहास रचते हुए 19 मई 2025 को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8849 मीटर) पर तिरंगा फहराया। इस अद्वितीय उपलब्धि के साथ वह CISF की पहली महिला अधिकारी बन गईं जिन्होंने एवरेस्ट फतह किया है।


गांव की गलियों से एवरेस्ट की चोटी तक का सफर

गीता सामोता का जन्म राजस्थान के सीकर जिले के चक गांव में हुआ। चार बहनों के बीच पली-बढ़ी गीता ने स्थानीय स्कूल और कॉलेज से ही पढ़ाई की। उनके भीतर बचपन से ही यह सवाल रहा करता था – लड़कियों की उपलब्धियों के बारे में लोग क्यों नहीं बात करते? यही सवाल उनके भीतर एक संकल्प और बदलाव की चिंगारी बना।


खेल से चोट तक और फिर एवरेस्ट तक

गीता शुरू से ही हॉकी की प्रतिभाशाली खिलाड़ी थीं। लेकिन एक चोट ने उनके स्पोर्ट्स करियर को विराम दे दिया। इस कठिनाई ने उन्हें पर्वतारोहण की दिशा में मोड़ दिया। 2011 में CISF में शामिल होने के बाद उन्होंने पर्वतारोहण को अपना जुनून बना लिया और लगातार कठिन ट्रेनिंग के बाद अब तक पांच बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई कर चुकी हैं


पहाड़ लिंग नहीं देखते, केवल मेहनत

गीता सामोता ने माउंट एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा लहराने के बाद कहा –

पहाड़ लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करते, केवल मेहनत और जुनून ही शिखर तक पहुंचाता है।

उनकी यह बात आज की युवा पीढ़ी, खासकर ग्रामीण भारत की लड़कियों के लिए प्रेरणा बन गई है। उन्होंने यह भी कहा कि –

बड़े सपने देखो, मेहनत करो, हार मत मानो, तो सफलता ज़रूर मिलती है।


CISF महानिदेशक से बधाई, 2026 में नया मिशन

गीता की इस शानदार उपलब्धि के बाद CISF के महानिदेशक और वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें बधाई दी है। इसके साथ ही यह भी घोषणा की गई है कि 2026 में एक समर्पित पर्वतारोहण दल को माउंट एवरेस्ट पर भेजा जाएगा, जिसमें गीता की भूमिका अहम होगी।


महिला सशक्तिकरण की मिसाल

गीता सामोता की यह उपलब्धि केवल उनकी व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि यह एक सांकेतिक विजय है, जो भारत में महिलाओं के साहस, संघर्ष और दृढ़ निश्चय को दर्शाती है। उन्होंने यह साबित किया है कि पारंपरिक सीमाएं और सामाजिक बंधन अगर तोड़े जाएं, तो हर लड़की एवरेस्ट पर पहुंच सकती है – चाहे वह भूगोल का हो या मानसिकता का।


निष्कर्ष

गीता सामोता की एवरेस्ट यात्रा सीकर की मिट्टी से उठी एक साधारण बेटी की असाधारण कहानी है। उन्होंने देश को यह संदेश दिया है कि आसमान तक पहुंचना मुमकिन है, बशर्ते हौसला और मेहनत दोनों साथ हों।

Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

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