राजस्थान: की राजनीति में एक बार फिर बड़ा विवाद गरमाया हुआ है। अंता से बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की सदस्यता को लेकर टीकाराम जूली ने राजस्थान हाईकोर्ट का रुख किया है। यह याचिका तब आई है जब विधायक कंवरलाल मीणा को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई तीन साल की सजा के बाद कोर्ट में सरेंडर कर चुके हैं, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने अब तक उनके सदस्यता रद्द करने का कोई फैसला नहीं लिया है।
टीकाराम जूली, जो कि राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं, ने आरोप लगाया है कि बीजेपी सरकार संविधान की अवहेलना कर रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि एक ही देश में दो तरह के कानून कैसे हो सकते हैं। जूली ने कहा, "कंवरलाल मीणा को सजा हुए 21 दिन बीत चुके हैं, परंतु उनकी सदस्यता रद्द नहीं हुई। वहीं राहुल गांधी की सदस्यता 24 घंटे के अंदर समाप्त कर दी गई।"
इस मामले ने राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है और कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर इसे लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कंवरलाल मीणा की सजा को बरकरार रखा है, इसके बाद भी उनकी सदस्यता रद्द नहीं की जा रही है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी पर आरोप लगाया कि वे सरकारी महाधिवक्ता की रिपोर्ट का बहाना बनाकर मामले को लटका रहे हैं और बीजेपी सरकार विधायक को बचाने की कोशिश में है।
वहीं विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि उन्होंने मामले की कानूनी राय लेने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने साफ किया कि महाधिवक्ता से राय लिए बिना कोई अंतिम फैसला नहीं होगा।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह मामला आगामी विधानसभा सत्र में जोरदार बहस का विषय बनेगा और सदस्यता रद्दीकरण की प्रक्रिया पर भी सुप्रीम कोर्ट की निगरानी बनी रहेगी। इससे बीजेपी की साख पर भी असर पड़ सकता है क्योंकि विपक्ष लगातार इस मुद्दे को भुनाने में लगा हुआ है।
राजस्थान की राजनीति में यह मामला इसलिए भी अहम है क्योंकि इसे लेकर विधानसभा में सदस्यता रद्दीकरण की प्रक्रिया की निष्पक्षता और त्वरित कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि यदि कानून सभी के लिए बराबर लागू होता तो आज इस विवाद का सामना नहीं करना पड़ता।
कंवरलाल मीणा की सदस्यता को लेकर चल रहा यह विवाद राजस्थान की सियासत में नए मोड़ ला सकता है। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद भी विधायक की सदस्यता न रद्द होना राजनीतिक विवादों को हवा दे रहा है। इस मुद्दे पर आगे क्या होता है, यह आगामी दिनों में विधानसभा अध्यक्ष के फैसले और हाईकोर्ट के आदेश पर निर्भर करेगा।
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