जयपुर। कहते हैं कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी हालात रास्ता नहीं रोक सकते। जयपुर के रहने वाले शिवांश ने इस कहावत को सच कर दिखाया। मां की मौत के सिर्फ चार दिन बाद, शिवांश ने JEE परीक्षा दी और अगले दिन हरिद्वार जाकर मां की अस्थियां विसर्जित कीं। यह कहानी केवल परीक्षा देने की नहीं, बल्कि एक बेटे के समर्पण, हिम्मत और आत्मबल की मिसाल है।
जयपुर के झोटवाड़ा क्षेत्र में रहने वाले शिवांश की मां 18 जनवरी को बीमार पड़ीं। उन्हें ICU में भर्ती कराया गया लेकिन 20 जनवरी को उनका निधन हो गया। ठीक चार दिन बाद 24 जनवरी को शिवांश की JEE Mains परीक्षा थी। परिवार के लिए यह समय बेहद मुश्किल भरा था, लेकिन शिवांश ने खुद को संभाला और परीक्षा दी।
शिवांश बताते हैं कि उनकी मां हमेशा उन्हें कहती थीं, "बेटा, कोई भी परेशानी आए, अपने लक्ष्य से पीछे मत हटना।" मां की यही बात उन्हें हौसला देती रही। उन्होंने परीक्षा दी और फिर 25 जनवरी को हरिद्वार जाकर मां की अस्थियों का विसर्जन किया।
परीक्षा की तैयारी के दौरान शिवांश ने अपने परिवार से दूरी बना ली थी। बहनों की शादी में भी शामिल नहीं हुए, क्योंकि उनका सपना IIT में चयन पाने का था। शिवांश का मानना है कि समय पर की गई मेहनत ही सफलता की कुंजी है।
शिवांश ने JEE Advanced की परीक्षा भी दी है और अब रिजल्ट का इंतजार है। उसकी कहानी उन सभी छात्रों के लिए एक प्रेरणा है, जो जीवन की कठिन परिस्थितियों में हार मान लेते हैं।
शिवांश की कहानी एक ऐसी मिसाल है, जो हमें सिखाती है कि हालात चाहे जितने भी कठिन हों, यदि आपके इरादे मजबूत हैं, तो आप हर चुनौती को पार कर सकते हैं। मां की मौत के बाद भी जिसने हिम्मत नहीं हारी, वह बेटा पूरे शहर की प्रेरणा बन गया।
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