जयपुर। राजधानी जयपुर में हाल ही में सड़क सुरक्षा और मानवीय भावनाओं को केंद्र में रखकर शॉर्ट फिल्म ‘एक कॉल की दूरी’ की शूटिंग संपन्न हुई। फिल्म की शूटिंग पत्रकार कॉलोनी में की गई और इसका निर्देशन ज्योत्सना कौशिक ने किया है।
इस भावनात्मक लघु फिल्म में दिखाया गया है कि सिर्फ एक हेलमेट, एक इमरजेंसी कॉल और थोड़ी सी इंसानियत किसी की जिंदगी बचा सकती है। फिल्म एक ऐसी कहानी को बयां करती है जो आम होते हुए भी आंखें खोल देती है।
‘एक कॉल की दूरी’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश है, जो हर उस व्यक्ति तक पहुंचना चाहता है जो कभी भी सड़क पर चलता है या वाहन चलाता है।
निर्देशक ज्योत्सना कौशिक ने कहा—
"यह फिल्म हर उस शख्स को समर्पित है जो सड़क दुर्घटनाओं में अनजाने में खो जाता है, और उन लोगों को भी जो चाहें तो किसी की जान बचा सकते हैं।"
फिल्म की कहानी एक युवक के इर्द-गिर्द घूमती है जो बिना हेलमेट के सड़क पार कर रहा होता है और एक हादसे का शिकार हो जाता है। इस मोड़ पर दो तरह के लोग सामने आते हैं—एक जो विडियो बनाते हैं, और दूसरे जो उसकी मदद करते हैं। यही टकराव फिल्म को भावनात्मक ऊंचाई देता है।
सिर्फ एक कॉल—इमरजेंसी सर्विस को—उसकी जान बचा सकती है। यही विचार फिल्म के टाइटल ‘एक कॉल की दूरी’ को सार्थक बनाता है।
फिल्म की शूटिंग जयपुर की पत्रकार कॉलोनी में विभिन्न रियल लोकेशनों पर की गई, ताकि प्राकृतिक माहौल और असलीपन दर्शकों तक सीधे पहुंचे।
निर्देशक ज्योत्सना कौशिक के साथ टीम में उभरते कलाकार, टेक्निकल स्टाफ और जागरूकता अभियानों से जुड़े लोग भी शामिल रहे।
फिल्म जल्द ही यूट्यूब और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज की जाएगी, साथ ही इसे सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियानों में भी शामिल किया जाएगा।
‘एक कॉल की दूरी’ यह बताने की कोशिश करती है कि इंसानियत आज भी जिंदा है, बस ज़रूरत है वक्त पर सही कदम उठाने की। सड़क सुरक्षा सिर्फ नियम नहीं, जीवन का हिस्सा होना चाहिए।
फिल्म न केवल युवाओं के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि सड़क पर कोई अनजान अगर मदद के लिए तड़प रहा है, तो क्या हम सिर्फ कैमरा उठाएंगे या मदद का हाथ बढ़ाएंगे?
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