बेंगलुरु | RCB की पहली IPL ट्रॉफी जीतने के बाद बेंगलुरु में 4 जून को आयोजित विक्ट्री परेड अचानक एक बड़े हादसे में बदल गई। चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर जमा हुए लाखों फैन्स में से कई स्टेडियम में दाखिल होने के लिए गेट पर टूट पड़े। फ्री-पास पाने की अफरा-तफरी में भगदड़ मची, जिसमें 11 लोगों की जान चली गई और 33 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
सुबह 10 बजे: सोशल मीडिया और स्थानीय चैनलों पर खबर फैली कि RCB की विक्ट्री परेड विधानसभा से चिन्नास्वामी स्टेडियम तक निकलेगी।
दोपहर 12 बजे: आयोजकों ने फैंस को फ्री एंट्री पास देना शुरू किया।
दोपहर 2 बजे: पास लेने वालों की संख्या हज़ारों में पहुंच गई।
शाम 4 बजे: चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर करीब 3 लाख लोग जमा हो गए।
शाम 5 बजे: भीड़ अनियंत्रित हुई, और स्टेडियम का गेट टूट गया।
शाम 5:15 बजे: पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन भगदड़ मच गई।
शाम 6 बजे: एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड और रेस्क्यू टीमें मौके पर पहुंचीं।
रात 8 बजे: 11 लोगों की मौत की पुष्टि हुई, अधिकतर की सिर, रीढ़ और पेट पर गंभीर चोटों के कारण जान गई।
RCB मैनेजमेंट द्वारा फ्री पास का अनियंत्रित वितरण सबसे बड़ी चूक मानी जा रही है।
किसी भी ईवेंट मैनेजमेंट एजेंसी को भीड़ नियंत्रण के लिए नियुक्त नहीं किया गया था।
बेंगलुरु पुलिस ने भीड़ का अनुमान नहीं लगाया और सिर्फ सामान्य बैरिकेडिंग पर भरोसा किया।
चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर एम्बुलेंस और मेडिकल टीम पहले से तैनात नहीं थीं।
स्टेडियम की गेट क्षमता से कई गुना ज्यादा लोग भीतर जाने की कोशिश कर रहे थे।
हादसे में बचे आकाश वर्मा (22) ने बताया:
"मैं गेट के पास था। अचानक धक्का लगा और लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। जिसने बैलेंस खोया, वह उठ ही नहीं पाया। मैं किसी तरह ग्रिल पकड़ कर बाहर निकला।"
इस हादसे के बाद कर्नाटक सरकार और RCB मैनेजमेंट पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष ने कहा कि:
"RCB ने भीड़ बुलाई लेकिन सुरक्षा के इंतज़ाम नहीं किए। यह जश्न नहीं, एक खतरनाक आयोजन था।"
राज्य सरकार ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं, और पुलिस प्रशासन से जवाब-तलबी की गई है।
RCB की जीत पर फैंस का उत्साह स्वाभाविक था, लेकिन अनियोजित आयोजन और लचर व्यवस्थाओं ने इसे मातम में बदल दिया। इस हादसे ने एक बार फिर ये याद दिला दिया कि भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा को लेकर लापरवाही कितनी महंगी पड़ सकती है।
RCB की ऐतिहासिक जीत का जश्न, जिसमें लाखों फैंस शरीक होना चाहते थे, एक काले दिन में बदल गया। अब वक्त है कि खेल आयोजनों में जनसुरक्षा को सर्वोपरि रखा जाए, ताकि खेल भावना कभी भी जानलेवा न बने।
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