मंत्री ने कहा कि पारंपरिक भारतीय गायें न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी हैं। उनका शरीर संरचना ऐसा है कि वह प्राकृतिक रूप से वातावरण को शुद्ध करने वाली ऑक्सीजन छोड़ती हैं।
मदन दिलावर ने बताया कि आज बाजारों में मिलने वाला अधिकांश दूध वर्णशंकर गायों या विदेशी नस्लों से प्राप्त होता है, जो A1 प्रोटीन लिए होता है। यह दूध दीर्घकालिक सेवन के कारण कई बार शरीर में गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है। वहीं भारतीय देसी गायों के दूध में A2 प्रोटीन होता है, जो हृदय, मस्तिष्क और पाचन के लिए बहुत लाभकारी माना गया है।
मंत्री ने कहा कि प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी देसी गाय के दूध, गोमूत्र और गोबर को औषधीय गुणों से भरपूर बताया गया है। उन्होंने दावा किया कि यदि घर में एक देसी गाय रखी जाए तो परिवार के लोग प्राकृतिक रूप से बीमारियों से बच सकते हैं।
मदन दिलावर ने लोगों से अपील की कि वे वर्णशंकर नस्लों के दूध से सावधान रहें और अपने स्वास्थ्य तथा परंपरा की रक्षा के लिए देसी गायों को अपनाएं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार गौशालाओं को मजबूत करने और देसी नस्लों को संरक्षित करने की दिशा में काम कर रही है।
मंत्री के इस बयान ने जहां गायों की धार्मिक और स्वास्थ्य से जुड़ी भूमिका पर ध्यान खींचा है, वहीं वर्णशंकर गायों के दूध को लेकर किए गए कैंसर संबंधी दावे पर विशेषज्ञों से वैज्ञानिक पुष्टि की आवश्यकता भी जताई जा रही है।
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