प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार द्वारा निजी ऑपरेटरों को लोक ट्रांसपोर्ट सेवा के तहत 2000 नए परमिट जारी किए जाने से राजस्थान रोडवेज के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह नीति निजी परिवहन को बढ़ावा देकर सरकारी रोडवेज को कमजोर करने की साजिश है।
इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व राजस्थान परिवहन निगम संयुक्त कर्मचारी फेडरेशन और विभिन्न रोडवेज कर्मचारी यूनियनों ने मिलकर किया। कर्मचारियों ने नारेबाजी करते हुए परिवहन मुख्यालय का घेराव किया और ज्ञापन सौंपा।
एक वरिष्ठ सेवानिवृत्त कर्मचारी ने कहा:
“हमने जिंदगी भर रोडवेज के लिए सेवा की है, लेकिन अब सरकार खुद इसे खत्म करने पर तुली है।”
प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने सरकार से मांग की कि
लोक ट्रांसपोर्ट सेवा के तहत जारी 2000 परमिट तुरंत रद्द किए जाएं।
रोडवेज को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए अलग से बजट का प्रावधान किया जाए।
सेवारत कर्मचारियों की पेंशन और वेतन संबंधी समस्याओं का समाधान जल्द किया जाए।
यदि मांगे नहीं मानी गईं, तो उन्होंने चेतावनी दी कि आने वाले दिनों में राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा।
कर्मचारियों का यह भी कहना है कि राज्य सरकार प्राइवेट ऑपरेटरों को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसी नीतियां ला रही है, जिससे रोडवेज जैसी सामाजिक परिवहन सेवा प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाए।
जयपुर में हुए इस प्रदर्शन ने साफ कर दिया है कि रोडवेज कर्मचारियों में सरकार की नीतियों को लेकर गहरी नाराजगी है। यदि जल्द ही संवाद और समाधान नहीं हुआ, तो यह विरोध आगे और बड़ा रूप ले सकता है।
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