जयपुर : राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के बाद सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की 33 फ्लैगशिप योजनाओं को प्राथमिकता सूची से बाहर कर दिया है।
इनमें वे योजनाएं भी शामिल हैं जो सीधे आम जनता से जुड़ी थीं, जैसे कि मुफ्त दवा योजना, देवनारायण छात्रा स्कूटी योजना, और विदेशों में पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस।
सरकार की नई सूची में गहलोत सरकार की एक भी योजना को जगह नहीं दी गई है। जिन प्रमुख योजनाओं को हटाया गया है, उनमें शामिल हैं:
मुफ्त दवा और जांच योजना
इंदिरा रसोई योजना
पेंशन योजनाएं (वृद्धावस्था, विधवा, दिव्यांग)
देवनारायण छात्रा स्कूटी योजना
स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस (विदेशों में पढ़ाई के लिए)
इंदिरा गांधी स्मार्टफोन योजना
चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना
राज्य सरकार का कहना है कि यह निर्णय नई नीतियों के अनुरूप योजनाओं का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए लिया गया है।
"सरकार अब ऐसी योजनाएं शुरू करना चाहती है जो मौजूदा जरूरतों और संसाधनों के हिसाब से ज्यादा प्रभावी हों।"
लेकिन विपक्ष इसे राजनीतिक प्रतिशोध बता रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेताओं ने इस फैसले को आमजन के साथ अन्याय करार दिया है।
गहलोत बोले:
"मुफ्त दवा, पेंशन और शिक्षा जैसी योजनाओं को बंद करके सरकार जनता के हक पर प्रहार कर रही है।"
"जनता इसका जवाब जरूर देगी।"
विशेषज्ञों का मानना है कि इन योजनाओं का हटना गरीब, किसान, छात्र, महिलाएं और बुजुर्ग वर्ग के लिए बड़ा झटका है।
स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा जैसी बुनियादी ज़रूरतों पर सीधा असर पड़ेगा।
यह कदम कहीं ना कहीं नई सरकार की प्राथमिकता और विचारधारा को दर्शाता है।
लेकिन यह भी सच है कि लाखों लोग इन योजनाओं पर निर्भर थे।
देखना होगा कि सरकार इनके स्थान पर नई योजनाएं लाकर जनता को राहत देती है या नहीं।
गहलोत सरकार की 33 फ्लैगशिप योजनाओं का हटाया जाना राजनीतिक और सामाजिक दोनों रूप से अहम फैसला है।
जहां एक ओर सरकार इसे नई दिशा में कदम बता रही है, वहीं विपक्ष और आम जनता में इसकी वजह से नाराज़गी साफ़ दिख रही है।
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