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अब 60 नहीं, 62 साल में होगी रिटायरमेंट: राजस्थान में MBBS और BDS मेडिकल अधिकारियों की सेवा आयु बढ़ी

जयपुर : राजस्थान में MBBS और BDS डिग्रीधारी मेडिकल अधिकारियों के लिए अब रिटायरमेंट की आयु 60 वर्ष नहीं, बल्कि 62 वर्ष होगी। यह आदेश राजस्थान हाईकोर्ट की जस्टिस रेखा बोराणा की बेंच ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वह इस निर्णय को तुरंत प्रभाव से लागू करते हुए सर्कुलर/अधिसूचना जारी करें।


कोर्ट का स्पष्ट निर्देश: तुरंत जारी हो सर्कुलर

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार की वेबसाइट पर यह सर्कुलर प्रकाशित किया जाए, जिससे सभी संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट जानकारी मिल सके और बार-बार कोर्ट का दरवाजा न खटखटाना पड़े। यह आदेश डॉ. रेनू काला की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें उन्होंने BDS अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष होने को चुनौती दी थी।


पृष्ठभूमि: डॉ. सर्वेश प्रधान केस बना आधार

यह निर्णय डॉ. सर्वेश प्रधान बनाम राजस्थान राज्य मामले में डिवीजन बेंच द्वारा पूर्व में दिए गए निर्णय पर आधारित है। कोर्ट ने साफ किया कि यह आदेश "जजमेंट इन रेम" की श्रेणी में आता है यानी यह सभी BDS/MBBS डिग्रीधारी मेडिकल अधिकारियों पर समान रूप से लागू होगा।


किन अधिकारियों को मिलेगा लाभ?

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय केवल उन अधिकारियों पर लागू होगा जो 26 फरवरी 2024 के बाद रिटायर नहीं हुए हैं। यानी जो अधिकारी 26.02.2024 से पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं, वे इस निर्णय के दायरे में नहीं आएंगे।


सरकार की जिम्मेदारी तय

कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि:

  • MBBS और BDS अधिकारियों की रिटायरमेंट आयु 62 वर्ष घोषित की जाए।

  • इसे तुरंत प्रभाव से लागू किया जाए।

  • इसका सर्कुलर या अधिसूचना आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित की जाए।


याचिकाकर्ता को न्याय

डॉ. रेनू काला द्वारा प्रस्तुत याचिका को कोर्ट ने स्वीकार किया है और इसे न्यायसंगत और जनहित से जुड़ा मुद्दा माना है। यह निर्णय ना केवल याचिकाकर्ता बल्कि पूरे राजस्थान के मेडिकल अधिकारियों के लिए महत्वपूर्ण राहत है।


निष्कर्ष:

राजस्थान हाईकोर्ट के इस निर्णय से हजारों BDS और MBBS मेडिकल अधिकारियों को राहत मिलेगी, जिन्हें अब 62 वर्ष की आयु तक सेवा में बने रहने का अधिकार मिलेगा। यह फैसला न केवल न्यायपूर्ण है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतरता के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा। अब निगाहें राज्य सरकार पर हैं कि वह इस आदेश को कितनी शीघ्रता और पारदर्शिता से लागू करती है।

Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

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