जयपुर: राजस्थान में गर्मी से बचाव को लेकर सरकार की ओर से की जा रही लापरवाही पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी सत्तारूढ़ सरकार पर निशाना साधा है। गहलोत ने स्पष्ट तौर पर कहा कि हाईकोर्ट की चिंता पूरी तरह जायज है, क्योंकि सरकार ने कोर्ट के पिछले आदेशों के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि गर्मी से राहत देने के लिए जो आदेश एक साल पहले दिए गए थे, उनका पालन अब तक नहीं किया गया है। अदालत ने यह भी पूछा कि हीटवेव प्लान, शीतल पेयजल की उपलब्धता, अस्पतालों में गर्मी से पीड़ित मरीजों के लिए वार्ड आदि की क्या स्थिति है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मुद्दे पर ट्वीट करते हुए कहा:
"हाईकोर्ट की चिंता जायज है। जब कोर्ट ने पहले ही सरकार को निर्देश दे दिए थे तो समय रहते राहत की तैयारियां होनी चाहिए थीं। अब जब गर्मी ने विकराल रूप लिया है, तब सरकार की बदइंतजामी उजागर हो रही है।"
उन्होंने आगे कहा कि गर्मी से प्रभावित गरीब और श्रमिक वर्ग के लिए पेयजल, टेंट, कूलर, प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा और जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत थी, जो पूरी तरह नदारद है।
राज्य के कई जिलों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार जा चुका है। अस्पतालों में लू से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन राहत प्रबंधन कहीं नजर नहीं आ रहा। सार्वजनिक स्थलों पर न तो छाया की व्यवस्था है और न ही पेयजल का इंतजाम। गर्मी के इस संकट में प्रशासनिक उदासीनता को लेकर जनता में नाराजगी है।
गहलोत के बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में गर्मी और ज्यादा बढ़ गई है। सत्ताधारी दल की तरफ से अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विपक्ष ने इस मुद्दे को जनता से जुड़ा बताते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है।
राजस्थान में गर्मी से राहत के उपायों की अनदेखी अब राजनीतिक और कानूनी मोर्चों पर सरकार के लिए चुनौती बनती जा रही है। हाईकोर्ट की फटकार और विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया से यह साफ है कि प्रशासन को अब गंभीरता से ज़मीनी स्तर पर काम करना होगा।
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