स्टेशन डेस्क : रेलवे यात्रियों की सुविधा बढ़ाने के उद्देश्य से बनाए गए नए फुटओवर ब्रिज (एफओबी) ने परेशानी कम करने की बजाय यात्रियों की मुसीबतें और बढ़ा दी हैं। रेलवे प्रशासन द्वारा कोच के स्थान पर इंजन के पास एफओबी का स्लोप बना दिए जाने से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
प्लेटफॉर्म पर ट्रेन के कोच जहां खड़े होते हैं, वहां से एफओबी तक पहुंचने के लिए यात्रियों को लगभग 60-70 मीटर तक भारी बैग, बच्चे और बुजुर्गों सहित पैदल चलना पड़ता है।
यात्री रेखा शर्मा का कहना है:
“प्लेटफॉर्म नंबर 2 पर कोच आने की जगह से एफओबी बहुत दूर है। भारी लगेज लेकर चलना किसी सजा से कम नहीं है।”
रेलवे के री-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत यह एफओबी बनवाया गया था, ताकि प्लेटफॉर्म पर चढ़ने-उतरने की सुविधा आसान हो सके। लेकिन डिजाइनिंग और प्लेसमेंट में बड़ी चूक के कारण अब यह यात्रियों के लिए असुविधा का कारण बन गया है।
रेलवे अधिकारी इस बारे में सिर्फ इतना कह रहे हैं कि:
“प्रोजेक्ट अभी अधूरा है, जल्द ही अतिरिक्त स्लोप और लिफ्ट की सुविधा जोड़ दी जाएगी।”
एफओबी तक पहुंचने के लिए जिस दूरी तक यात्रियों को चलना पड़ रहा है, वह बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए अत्यधिक कठिन है। उनके लिए न कोई व्हीलचेयर सुविधा है, न कोई ट्रॉली सहायता।
कई यात्रियों ने X (पूर्व ट्विटर) और इंस्टाग्राम पर वीडियो और तस्वीरें पोस्ट की हैं जिसमें उन्हें ट्रेन के इंजन के पास से प्लेटफॉर्म तक संघर्ष करते देखा जा सकता है। यह रेलवे के कार्यों पर सवाल खड़ा कर रहा है।
एफओबी कोच एरिया के पास शिफ्ट किया जाए
लगेज ट्रॉली और व्हीलचेयर की सुविधा
स्पष्ट दिशा संकेत और गाइड स्टाफ की व्यवस्था
सीढ़ियों की जगह रैम्प और लिफ्ट लगाई जाए
रेलवे का उद्देश्य यदि यात्रियों की सुविधा है तो उसे मौके की स्थिति और उपयोगकर्ताओं की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर योजना बनानी चाहिए। अन्यथा ऐसे निर्माण सिर्फ जनता के धन और धैर्य दोनों की बर्बादी साबित होंगे।
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