जयपुर : से हुई जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। आरएनटी मेडिकल कॉलेज, उदयपुर में आईवीएफ सेटअप लगाने के लिए जारी टेंडर प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी सामने आई है। फर्म ने फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर टेंडर हासिल किया था। अब इस गड़बड़ी के सामने आने के बाद फर्म को ब्लैकलिस्ट करने और मामला दर्ज करवाने के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
यह राजस्थान के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पहली बार था जब किसी संस्थान में आईवीएफ (In Vitro Fertilization) सेंटर स्थापित किया जा रहा था। इस ऐतिहासिक पहल के लिए उदयपुर कलेक्टर ने डीएमएफटी योजना (District Mineral Foundation Trust) के तहत 3 करोड़ 50 हजार रुपए का बजट स्वीकृत किया था। लेकिन इस महत्वाकांक्षी योजना की टेंडर प्रक्रिया में ही गड़बड़ी ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जांच में पाया गया कि टेंडर प्राप्त करने के लिए फर्म ने अपने दस्तावेजों में झूठी जानकारी और फर्जी प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए। प्राथमिक जांच के दौरान फर्म की पात्रता और अनुभव पर सवाल उठे, जिसके बाद जयपुर से एक उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित की गई थी। जांच में दस्तावेजों की सत्यता की पुष्टि न होने पर फर्म को दोषी पाया गया।
जांच रिपोर्ट के आधार पर प्रशासन ने फर्म को ब्लैकलिस्ट करने का निर्णय लिया है। साथ ही संबंधित फर्म के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। इसके अलावा, इस घोटाले में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की जा सकती है।
सरकारी अस्पतालों में आईवीएफ सेंटर की स्थापना से आम जनता को उम्मीद थी कि महंगे निजी इलाज से राहत मिलेगी। लेकिन टेंडर घोटाले ने इस योजना को संदेह के घेरे में ला खड़ा किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो भविष्य में ऐसी योजनाओं में भ्रष्टाचार की संभावनाएं और बढ़ सकती हैं।
राजस्थान सरकार के लिए यह मामला एक बड़ी चुनौती है। एक ओर जहां स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ करने की कोशिशें हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर इस तरह के घोटाले पूरे सिस्टम पर अविश्वास पैदा कर सकते हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिले और योजनाओं की पारदर्शिता सुनिश्चित हो।
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