राजस्थान : के सरकारी अस्पतालों, खासतौर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी एक हालिया पत्र में खुलासा हुआ है कि राज्य के केवल 3% PHC ही नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड (NQAS) के मानकों पर खरे उतरते हैं। शेष अधिकांश केंद्रों में दवा, स्वच्छ पेयजल, बिजली बैकअप और इंटरनेट जैसी बुनियादी सुविधाओं का भारी अभाव है।
प्रमुख समस्याएं:
दवाओं की अनुपलब्धता: कई PHC में ज़रूरी जीवनरक्षक और ओपीडी दवाएं उपलब्ध नहीं हैं।
पेयजल की किल्लत: मरीजों और स्टाफ के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं है।
बिजली और बैकअप सिस्टम फेल: लंबे समय तक बिजली गुल रहने की स्थिति में जनरेटर या बैकअप नहीं चलते।
इंटरनेट सुविधा का अभाव: अधिकांश केंद्र डिजिटली कार्य नहीं कर पा रहे जिससे राष्ट्रीय योजनाओं का डेटा अपलोड प्रभावित हो रहा है।
हेल्थ प्रोग्राम ठप: स्कूलों में चलने वाले स्वास्थ्य जांच शिविर और जागरूकता कार्यक्रम बंद पड़े हैं।
रिपोर्ट के अनुसार:
स्वास्थ्य मंत्रालय के पत्र में बताया गया है कि राजस्थान सरकार द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK), स्कूल हेल्थ एंड वेलनेस प्रोग्राम जैसी योजनाओं को अपेक्षित रूप से लागू नहीं किया गया है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा है।
विशेषज्ञों की राय:
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं किसी भी राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली की रीढ़ होती हैं। यदि प्राथमिक स्तर पर सेवाएं कमजोर होंगी, तो सेकेंडरी और टर्शियरी स्तर पर बोझ बढ़ेगा।
सरकार से अपेक्षा:
इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद अब राज्य सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह:
PHC में बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करे
दवा आपूर्ति और जनरेटर की व्यवस्था दुरुस्त करे
इंटरनेट कनेक्टिविटी को सुदृढ़ बनाए
स्कूल हेल्थ प्रोग्राम दोबारा शुरू करे
निष्कर्ष:
स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट राजस्थान की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की हकीकत को उजागर करती है। अब यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह इन कमियों को दूर कर आम जनता को सुलभ, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर सके।
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