जयपुर, राजस्थान : राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस योजना की E3 कैटेगरी (25 लाख रुपए से अधिक सालाना आय वाले परिवारों) पर बड़ा सवाल खड़ा किया है। जस्टिस अनूप ढंढ की बेंच ने साफ कहा कि जब यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर और मेधावी छात्रों के लिए है, तो अमीर और रसूखदार परिवारों के बच्चे इसका लाभ क्यों ले रहे हैं?
हाईकोर्ट ने आगामी किश्त की राशि जारी करने पर E3 कैटेगरी के लिए अस्थायी रोक लगा दी है।
यह याचिका मनजीत सिंह देवड़ा द्वारा राजस्थान हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में बताया कि यह योजना गरीब और प्रतिभावान छात्रों के लिए बनाई गई थी, लेकिन इसका फायदा अफसरों और प्रभावशाली परिवारों के बच्चे ले रहे हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति मजबूत है।
याचिका के मुताबिक, 25 लाख रुपए से ज्यादा सालाना कमाने वाले परिवारों के बच्चे देश-विदेश के टॉप संस्थानों में फ्री शिक्षा का लाभ उठा रहे हैं, जबकि वास्तव में यह सुविधा आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों के लिए थी।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि तीनों कैटेगरी (E1, E2, E3) के लाभार्थियों की सूची उनके माता-पिता की आय और विवरण के साथ प्रस्तुत की जाए। मगर सरकार ने सूची पेश नहीं की, जिस पर कोर्ट ने गंभीर नाराजगी जताई।
जस्टिस अनूप ढंढ ने स्पष्ट कहा –
“यह सच्चाई लोगों के सामने आनी चाहिए कि कैसे अमीर और प्रभावशाली लोग जरूरतमंदों का हक छीन रहे हैं।”
इस योजना की शुरुआत अगस्त 2021 में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा की गई थी। तब इसका नाम था – राजीव गांधी स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस। इसका उद्देश्य मेधावी और जरूरतमंद छात्रों को देश-विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने में आर्थिक सहायता देना था।
भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद इसका नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस योजना कर दिया गया। वर्तमान में इस योजना के अंतर्गत तीन श्रेणियों – E1, E2, E3 में स्कॉलरशिप दी जाती है।
E3 श्रेणी उन छात्रों के लिए है जिनके परिवार की सालाना आय 25 लाख रुपए से अधिक है। आलोचना इस बात को लेकर है कि इतने सक्षम परिवारों के बच्चों को लाखों की स्कॉलरशिप क्यों दी जा रही है, जबकि सैकड़ों गरीब और योग्य छात्रों को सही मार्गदर्शन और संसाधन तक नहीं मिल पाते।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि E3 श्रेणी की स्कॉलरशिप की अगली किश्त तब तक न जारी की जाए, जब तक मामले की पूरी जांच न हो जाए।
कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्यों ना E3 कैटेगरी को पूरी तरह खत्म कर दिया जाए, ताकि योजना का लाभ केवल असली जरूरतमंदों को ही मिले।
राजस्थान हाईकोर्ट का यह आदेश देशभर में चल रही स्कॉलरशिप योजनाओं की पारदर्शिता और प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल उठाता है। अगर योजनाओं का लाभ गलत हाथों में जा रहा है, तो यह सामाजिक असमानता को और गहरा करता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार कोर्ट के इस आदेश का क्या जवाब देती है और क्या स्कॉलरशिप वितरण की प्रक्रिया में कोई बड़ा बदलाव होता है या नहीं।
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