जोधपुर : राजस्थान के जोधपुर शहर से एक सराहनीय और प्रेरणादायक पहल सामने आई है। एम्स जोधपुर में कार्यरत नर्सिंग ऑफिसर प्रेम प्रकाश बिश्नोई गर्मी की तपती दोपहरी में प्यासे पक्षियों के लिए परिंडे बांधने का अभियान चला रहे हैं। पिछले 2 महीनों में वे अब तक करीब 1600 परिंडे शहर के विभिन्न हिस्सों में बांध चुके हैं।
प्रेमप्रकाश का यह अभियान सिर्फ उनके मोहल्ले तक सीमित नहीं है। वे मंदिरों, पुलों, अस्पताल परिसरों, स्कूलों, सार्वजनिक स्थानों और कॉलोनियों में परिंडे बांध रहे हैं। हर परिंडे के साथ वे वहां के स्थानीय लोगों को जिम्मेदारी भी सौंपते हैं कि वह पानी भरते रहें। उनका कहना है,
“पक्षी बोल नहीं सकते, मगर उनकी नजरें पानी खोजती हैं। अगर हम इंसान होकर उनकी प्यास भी न बुझा पाएं, तो हमारे होने का क्या मतलब?”
प्रेमप्रकाश सिर्फ खुद परिंडे नहीं बांध रहे, बल्कि लोगों को भी इस नेक काम से जोड़ रहे हैं। वे सोशल मीडिया, व्हाट्सऐप ग्रुप्स और अपने साथियों के माध्यम से ‘एक घर, एक परिंडा’ की मुहिम चला रहे हैं। अब तक 200 से ज्यादा लोग उनकी इस मुहिम से जुड़ चुके हैं।
वे कहते हैं कि हर साल गर्मियों में हजारों पक्षी प्यास से दम तोड़ देते हैं, क्योंकि शहरों में पानी के प्राकृतिक स्रोत या तो खत्म हो चुके हैं या कंक्रीट में दब चुके हैं। प्रेमप्रकाश की यह सोच है कि अगर हर घर, स्कूल और दुकान पर एक परिंडा टांगा जाए तो पक्षियों की यह समस्या बहुत हद तक कम हो सकती है।
गर्मी के मौसम में तापमान कई बार 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच जाता है। खुले आसमान में उड़ने वाले पक्षियों को पीने का पानी मिलना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में परिंडे न केवल उनकी प्यास बुझाते हैं, बल्कि उनके जीवन को बचाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
प्रेम प्रकाश बिश्नोई का यह कार्य न केवल पर्यावरण संरक्षण का उदाहरण है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी की भी मिसाल है। उनका मानना है कि यह सिर्फ एक परिंडा नहीं, बल्कि एक जीवनदान है। अगर हम सभी थोड़ा सा योगदान करें, तो गर्मी में प्यास से मरने वाले पक्षियों की संख्या को बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
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