जयपुर : अक्षय तृतीया जैसे शुभ अवसर पर एक मानवता को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। बाल अधिकारिता विभाग की त्वरित कार्रवाई में 34 नाबालिग बच्चों को उस वक्त बचा लिया गया, जब उन्हें एक ठेकेदार सामूहिक विवाह कार्यक्रम में बाल श्रम के लिए पिकअप वाहन से ले जा रहा था। साथ में 10 युवक भी मौजूद थे।
यह कार्रवाई उस वक्त की गई जब विभाग को गुप्त सूचना मिली कि बच्चों से जबरन श्रम करवाने के लिए उन्हें सामूहिक विवाह स्थल पर भेजा जा रहा है। बाल अधिकारिता विभाग के अधिकारी ने पिकअप को मौके पर ही रोककर तलाशी ली और उसमें सवार बच्चों को संरक्षण में ले लिया गया।
जांच में सामने आया कि गाड़ी में मौजूद 34 बच्चे पूर्णतः नाबालिग थे, जिनकी उम्र 14 से 17 वर्ष के बीच पाई गई। इनके अलावा 10 युवक भी थे, जिनसे पंडाल, सजावट, साफ-सफाई और लाइटिंग जैसे काम करवाए जाने थे। सभी को गांवों से लाकर सामूहिक विवाह स्थल पर मजदूरी के लिए लगाया जाना था।
पुलिस ने ठेकेदार को हिरासत में ले लिया है और बाल श्रम अधिनियम व किशोर न्याय अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। सभी बच्चों को बाल कल्याण समिति (CWC) के आदेश पर शेल्टर होम (बाल संरक्षण गृह) में भेजा गया है, जहां उनकी काउंसलिंग की जा रही है।
बाल अधिकारिता विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बयान में कहा:
"हमारा कड़ा संदेश है कि किसी भी कीमत पर बच्चों से जबरन श्रम नहीं करवाया जाएगा। समाज के प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा करें और ऐसे मामलों की सूचना तुरंत प्रशासन को दें।"
अक्षय तृतीया जैसे शुभ दिन पर यह घटना यह सोचने पर मजबूर करती है कि आज भी समाज में मासूम बच्चों से बाल श्रम कराना एक कड़वी सच्चाई है। इस प्रकार की त्वरित कार्रवाई ही इस कुप्रथा पर लगाम लगाने का एकमात्र तरीका है। अब समय है कि हर नागरिक सतर्क हो और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए मिलकर आवाज उठाए।
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.