जयपुर : राजस्थान की अंता विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। राजस्थान हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ करीब 20 साल पुराने एक मामले में निचली अदालत द्वारा सुनाई गई तीन साल की सजा को बरकरार रखा है। मामला वर्ष 2003 का है, जब विधायक मीणा ने तत्कालीन एसडीएम पर पिस्टल तान दी थी।
वर्ष 2003 में अंता क्षेत्र में हुए एक प्रशासनिक अभियान के दौरान तत्कालीन एसडीएम ने अवैध निर्माण पर कार्रवाई की थी, जिसका कड़ा विरोध कंवरलाल मीणा ने किया। आरोप है कि उन्होंने गुस्से में आकर मौके पर मौजूद एसडीएम पर पिस्टल तान दी थी। इस मामले में उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज हुआ था।
लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद झालावाड़ की निचली अदालत ने विधायक मीणा को 3 साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई थी। मीणा ने इस फैसले को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन अब हाईकोर्ट ने भी निचली अदालत का निर्णय बरकरार रखते हुए उनकी अपील खारिज कर दी है।
भारतीय संविधान के अनुसार, यदि किसी जनप्रतिनिधि को 2 साल या उससे अधिक की सजा होती है, तो उसकी सदस्यता स्वतः समाप्त हो सकती है। हालांकि, अंतिम निर्णय विधानसभा अध्यक्ष और निर्वाचन आयोग के स्तर पर होता है।
संविधान विशेषज्ञों के अनुसार:
"यदि हाईकोर्ट की सजा पर कोई रोक नहीं लगती और सजा यथावत रहती है, तो कंवरलाल मीणा की विधायक पद की सदस्यता खतरे में पड़ सकती है।"
अब तक इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, सूत्रों के मुताबिक, पार्टी इस पूरे मामले पर कानूनी सलाह लेने के बाद आगे की रणनीति तय करेगी।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा:
"यह बीजेपी का दोहरा चरित्र है। कानून व्यवस्था की बात करने वाले खुद कानून तोड़ने वालों को संरक्षण देते हैं।"
हाईकोर्ट के इस फैसले ने कंवरलाल मीणा की राजनीतिक स्थिति को अस्थिर कर दिया है। अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि विधायक मीणा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं या नहीं, और क्या विधानसभा सचिवालय उनकी सदस्यता पर कोई कार्रवाई करता है।
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