जयपुर : में सीकर रोड पर चल रहे सड़क चौड़ीकरण कार्य ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। चौमूं पुलिया से लेकर 14 नंबर पुलिया तक JDA (जयपुर विकास प्राधिकरण) ने 7.5 मीटर चौड़े बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने का काम शुरू कर दिया है। यह कदम ट्रैफिक जाम से राहत दिलाने के उद्देश्य से उठाया गया, लेकिन स्थानीय नागरिकों को इससे कोई खास राहत मिलती नहीं दिख रही है।
JDA ने बीआरटीएस हटाने के नाम पर एक तरफ से पूरी लेन ही गायब कर दी है। बीआरटीएस कॉरिडोर हटने के बाद जो जगह आम ट्रैफिक के लिए उपलब्ध होनी चाहिए थी, उसमें से 3.80 मीटर चौड़ी मीडियन का निर्माण प्रस्तावित कर दिया गया है। इससे सड़क की चौड़ाई फिर संकुचित हो गई है, जिससे जाम की समस्या जस की तस बनी हुई है।
इस कार्य को लेकर स्थानीय नागरिकों में गहरी नाराजगी है। उनका कहना है कि:
“जब BRTS हटा दिया गया तो हमें पूरी चौड़ाई की सड़क क्यों नहीं मिली? मीडियन बनाकर हमारी एक लेन निगल ली गई।”
लोगों ने “हमारी सड़क हमें लौटाओ” के नारे लगाने शुरू कर दिए हैं और सोशल मीडिया पर भी JDA के इस फैसले के खिलाफ पोस्ट वायरल हो रही हैं।
JDA अधिकारियों का तर्क है कि मीडियन का निर्माण ट्रैफिक मैनेजमेंट और रोड सेफ्टी के दृष्टिकोण से जरूरी है। वे मानते हैं कि इससे बेतरतीब यू-टर्न, दुर्घटनाएं और वाहनों की आमने-सामने की टक्कर की घटनाएं रोकी जा सकेंगी।
हालांकि नागरिकों का कहना है कि जब मूल उद्देश्य ट्रैफिक जाम कम करना था, तो उसे ध्यान में रखकर ही रोड डिजाइन किया जाना चाहिए था।
फ्लेक्सिबल मीडियन या लोहे की रेलिंग से समाधान निकाला जा सकता था।
ऑटो, बाइक और साइकिल लेन के लिए अलग ट्रैक बनाने से ट्रैफिक बेहतर बंट सकता था।
स्मार्ट ट्रैफिक लाइट और सिग्नल प्लानिंग से सड़कों पर दबाव कम किया जा सकता है।
JDA की योजना भले ही शहरी ट्रैफिक सुधारने की दिशा में हो, लेकिन स्थानीय जनता की समस्याओं और वास्तविकता को नजरअंदाज करना विवाद का कारण बन रहा है। अब देखना यह होगा कि क्या JDA जनता की नाराजगी को सुनकर रोड डिज़ाइन में बदलाव करेगा, या फिर यह मुद्दा भी जयपुर के ट्रैफिक इतिहास में एक और असफल योजना बनकर रह जाएगा।
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